sindhu ghati sabhyata: सिंधु घाटी सभ्यता, जिसे हम विशेष रूप से सिंधु और सरस्वती नदी के क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन सभ्यता के रूप में जानते हैं, इसका संबंध आधुनिक (वर्तमान) के भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान के क्षेत्र से है। यह सिंधु घाटी सभ्यता प्राचीनतम अनुसंधानों में से एक है जो नदी तंत्र, सामाजिक जीवन शैली, कृषि और पशुपालन शैली आदि कार्यों के लिए प्रसिद्ध है।
सिंधु घाटी सभ्यता में शिल्पकला, सांस्कृतिक विकास, और सुगम नदी तंतु के स्थानीय विकास का प्रमुख लक्षण है। यहाँ के लोगो द्वारा व्यापार, कृषि, पशुपालन और मनोरंजन जैसे कई आधुनिक कार्य शामिल हैं। इस सभ्यता का अध्ययन हमें प्राचीन भारतीय समाज और उसकी उत्थान एवं पतन की प्रक्रिया को समझने में मदद करता है। अत: आइये इसे विस्तार से जानते है।
सिंधु घाटी सभ्यता (sindhu ghati sabhyata)
सिंधु सभ्यता/हड़प्पा सभ्यता भारत की पहली नगरीय सभ्यता है इसका नामकरण जॉन मार्शल द्वारा किया गया था। वर्तमान में सिंधु सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है, साक्ष्य बताते है की यहाँ के लोग शंख, पत्थर, सीप, धातुओं, आदि का व्यापार करते थे। जैसे राजस्थान राज्य खेतड़ी तांबे व चांदी के लिए प्रसिद्ध था
सिंधु सभ्यता का समय काल/काल विभाजन– सिंधु सभ्यता के समय काल को निम्न तीन उपकालों में विभाजित किया जाता है.
- सिंधु पूर्व सभ्यता काल
- सिंधु सभ्यता परिपक्व काल (महानगरीय सांस्कृतिक काल)
- उत्तर-सिंधु सभ्यता (हड़पेत्तर काल)
सिंधु पूर्व सभ्यता काल
सिंधु पूर्व सभ्यता काल का समय नवपाषाण काल के अंत से लेकर हड़प्पा सभ्यता के नगरीय स्वरूप के उद्भव तक का काल माना जाता है, जिसका समयकाल लगभग 3000 ई.पू. से 2300 ई.पू. तक स्वीकार किया जाता है।
इस काल से संबंधित हमें निम्न पुरातात्त्विक स्थल देखने को मिलते हैं
- कुल्ली संस्कृति
- क्वेटा संस्कृति
- नाल संस्कृति
- झोब संस्कृति
- अमरी संस्कृति
- कोटदीजी प्रथम संस्कृति
- बाड़ा संस्कृतिः इस ग्रामीण संस्कृति ने हड़प्पा जैसी महानगरीय के संस्कृति को जन्म दिया था।
- कालीबंगा प्रथम संस्कृतिः यहाँ से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं, जिन्हें हल के द्वारा जोता गया है।
- सोधी संस्कृतिःराजस्थान के बीकानेर के आसपास
बाड़ा संस्कृतिः इस ग्रामीण संस्कृति ने हड़प्पा जैसी महानगरीय के संस्कृति को जन्म दिया था। अमरी संस्कृति - इस ग्रामीण संस्कृति ने मोहनजोदड़ो नामक महानगरीय संस्कृति को जन्म दिया था। कालीबंगा प्रथम संस्कृतिः यहाँ से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं, जिन्हें हल के द्वारा जोता गया है। जुताई की प्रक्रिया क्रिस-क्रॉस पैटर्न पर आधारित थी। यहाँ संयुक्त कृषि के प्रमाण मिले हैं अर्थात् एक ही खेत में दो फसल (चना व सरसों) उगाने के साक्ष्य मिले हैं। इस ग्रामीण संस्कृति ने कालीबंगा नगरीय संस्कृति को जन्म दिया था।
सिंधु सभ्यता परिपक्व काल /महानगरीय सांस्कृतिक काल
इस काल के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में हड़प्पा सभ्यता परिपक्व अवस्था को प्राप्त होकर महानगरीय जीवन जीने लगी थी, जिसमें व्यवस्थित, सुसंगठित, स्वास्थ्यप्रद नगरीय जीवन के प्रमाण मिलते हैं। वैश्विक स्तर पर इस समय तक हड़प्पा सभ्यता के समान सुसंगठित, सुव्यवस्थित मानकीकृत, स्वास्थ्यप्रद नगर-नियोजन के प्रमाण कहीं भी विकसित नहीं हुए थे।
नोट: वर्ष 2016 के आधुनिक अनुसंधान के उपरांत सिंधु सभ्यता का काल 8000 ई.पू. का स्वीकार किया गया है, जिसके अनुसार विश्व में पहली बार नगरों का निर्माण हड़प्पा सभ्यता में हुआ था अर्थात् वैश्विक सभ्यता को नगर बनाने की प्रेरणा संभवतः भारत से मिली थी। इस अनुसंधान को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, खड़गपुर विश्वविद्यालय, उस्मानिया विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के साथ-साथ अन्य सहयोगियों ने वैज्ञानिक व पुरातात्त्विक विश्लेषण के उपरांत सिद्ध किया है।
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उत्तर-सिंधु सभ्यता (हड़पेत्तर काल)
हड़प्पेत्तर अर्थ हड़प्पा + इतर (अलग) से है सिंधु सभ्यता के नगरीय स्वरूप का पतन जिस काल में हुआ, उसे उत्तर हड़प्पा सभ्यता काल के नाम से जाना जाता है। यह समय काल लगभग 1750 ई.पू. से लेकर 1500 ई.पू. काल तक अथवा वैदिक सभ्यता के आगमन काल तक देखने को मिलता है। इससे संबंधित निम्न सभ्यताओं के प्रमाण मिलते हैं
- बाड़ा संस्कृति
- झांगर संस्कृतिः भारत के जोधपुर व बीकानेर के आसपास का क्षेत्र
- चमकीले लाल मृद्भांड संस्कृति या ताम्र पाषाणिक संस्कृति
- कब्रिस्तान H संस्कृतिः बाड़ा सांस्कृतिक क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता स्थल के निकट एक विशिष्ट कब्रिस्तान के प्रमाण मिले हैं, जिसमें दफनाए गए लोग हड़प्पा सभ्यता स्थल से संबंधित नहीं हैं। इन मृतक संस्कारों में मृद्मांडीय शवाधान व पूर्ण तथा आंशिक शवाधान के प्रमाण मिले हैं। इस सभ्यता के लोग पारलौकिक जीवन में विश्वास करते थे। मृत साथियों के साथ ये जीवनोपयोगी सामग्रियाँ भी कब्रों में रख देते थे। इसी सभ्यता से एक मुहर (Seal) प्राप्त हुई है, जिसमें एक पक्षी (गरुण) के पंजों में साँप को फँसा हुआ दिखाया गया है।
- ताम्र निधि संस्कृतिः गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र में ताम्र उपकरणों के प्रयोग के प्रमाण बहुतायत में मिलते हैं, जिस कारण इस सभ्यता को ताम्र-निधि संस्कृति के नाम से जाना जाता है।
- गेरूवर्णी मृद्भांड संस्कृति गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र में मानव बस्तियों के ऐसे प्रमाण मिले हैं, जो गेरुये रंग की मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करते थे। इसी कारण इस संस्कृति को गेरूवर्णी मृद्भांड संस्कृति के नाम से जाना जाता है।
- धूसर मृद्भांड संस्कृतिः गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र में ऐसी मानव बस्तियाँ मिली हैं, जो धूसर रंग के मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करते थे।
सिंधु सभ्यता का नगर नियोजन
हड़प्पा सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप की प्रथम नगरीय सभ्यता थी, जिसे कांस्ययुगीन सभ्यता के नाम से जाना जाता है। हड़प्पा सभ्यता से संबंधित लगभग 1400 स्थान चिह्नित किये गए हैं, जिनमें से कुछ महानगर, कुछ नगर तथा उपनगरीय स्थल भी हैं। हड़प्पा सभ्यता से संबंधित निम्न सात महानगर स्वीकार किये गए हैं। ये हैं-
भारत में स्थित महानगर
- कालीबंगा
- धौलावीरा
- लोथल
- बनावली
पाकिस्तान में स्थित महानगर
- मोहनजोदड़ो
- हड़प्पा
- चन्हूदड़ो
हड़प्पा सभ्यता का नगरीय स्वरूप लगभग 2300 ई.पू. से 1750 ई.पू. के बीच में स्वीकार किया गया है। हड़प्पा सभ्यता सुसंगठित, सुव्यवस्थित, मानकीकृत, स्वास्थ्यप्रद नगर नियोजन के रूप में स्थापित थी, जिसमें निम्न प्रमुख विशिष्टताएँ विद्यमान थीं
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सामान्यतः नगरों व महानगरों की आयोजना (Planning) एक समान दिखाई देती है अर्थात् नगरों में एकरूपता विद्यमान थी। नगर सामान्यतः पश्चिम से पूर्व की ओर बसाए जाते थे, जिसमें पश्चिम का हिस्सा कृत्रिम प्रयासों के द्वारा ऊँचे टीले के रूप में विकसित किया जाता था तथा उसे सुरक्षा दीवार से घेर दिया जाता था, इसे गढ़ी (दुर्गीकृत क्षेत्र) की संज्ञा दी गई है। यहाँ सामान्यतः समाज के गण्यमान्य वर्ग के लोग (VIP समूह/लोग) रहते थे। शहर का पूर्वी हिस्सा पश्चिमी हिस्से की तुलना में निचला होता था, जो सुरक्षा दीवार के बिना होता था। यहाँ आमजन (समान्य लोग) निवास करते थे।