पर्यावरण दो शब्दों से मिल कर बना है परि+आवरण, ‘परि’ का तात्पर्य हमारे चारों ओर से है एवंं ‘आवरण’ का तात्पर्य हमें चारों ओर से घेरे हुए से है, अत: हमे चारो ओर से घेरे हुए आवरण/परिवेश/वातावरण को ही पर्यावरण कहते है. आइये इसे और सरल शब्दों में समझते है.
पर्यावरण किसे कहते हैं?
पर्यावरण का तात्पर्य घेरना या घिरा हुआ से होता है इसे अंग्रेजी में एनवायरनमेंट (environment) कहते है इस शब्द की उतपत्ति फ्रेंच शब्द Environner से हुआ है जिसका अर्थ To Surround होता है.
ध्यातव्य है की प्रत्येक जीव का अपना विशेष परिवेश होता है तथा जीव व उसका परिवेश एक दुसरे को प्रभावित करते रहते है यही परिवेश उनका पर्यावरण कहलाता है पर्यावरण भौतिक एवं अजैविक पदार्थो (जल, मिट्टी, वायु, आदि) का समग्र मिश्रण होता है.
हमारे चारो ओर उपस्थित आवरण ही पर्यावरण है ध्यातव्य है की पर्यावरण का मानव जीवन में महत्वपूर्ण और बहुआयामी योगदान है। यह हमारे अस्तित्व, स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, खाद्यान्न और जीवन के लिए जरुरी अन्य महत्वपूर्ण वस्तुयों की आपूर्ती करता है. इसके द्वारा ही हमें हवा, पानी, भोजन, वस्त्र, रहने का स्थान आदि की प्राप्ति हो पाती है
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पर्यावरण के प्रकार
पर्यावरण को निम्नालिखित 2 भागो में बाटा जाता है
- प्राकृतिक पर्यावरण
- मानव निर्मित पर्यावरण
प्राकृतिक पर्यावरण – इसका तात्पर्य प्राकृतिक परिवेश/आवरण से है प्राकृतिक पर्यावरण जीवन का आधार होता है। यह न केवल हमें आवश्यक संसाधन और सेवाएं प्रदान करता है, जो हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है. प्राकृतिक पर्यावरण के अंतगर्त जल मंडल, वायु मंडल, स्थल मंडल, और जैव मंडल को रखा जाता है
मानव निर्मित पर्यावरण- जिस पर्यावरण को मनुष्य ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया या परिवर्तित किया है। उसे मानव निर्मित पर्यावरण कहते है इसके अंतगर्त सड़क, घर, पार्क, डैम, रेलमार्ग, बंदरगाह, आदि शामिल किया जाता है.
पर्यावरण के संघटक
पर्यावरण के निम्नलिखित तीन घटक होते है. 1. जैविक संघटक 2. अजैविक संघटक 3. उर्जा संघटक
पर्यावरण मे जैविक संघटक का तात्पर्य जीवो से है अर्थात सभी जीवित वस्तुये यथा मानव, वृक्ष, किटाणु, जानवर आदि जैविक संघटक के अंतगर्त आते है तथा अजैविक संघटक के अंतगर्त खनीज, हवा, जल आदि रखा जाता है.
पर्यावरण में ऊर्जा संघटक सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसके अंतगर्त सभी प्रकार की ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा आदि को रखा जाता है.
मानव द्वारा पर्यावरण पे नुकसान
पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवो में मानव ही ऐसा जीव है जिसने पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुचाया है मानव की गतिविधियों ने पर्यावरण पर बहुत ही घातक प्रभाव डाला है मुख्यरूप से औधोगिक क्रान्ति के बाद पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
औधोगिकीकरण, खनन, शहरीकरण, आदि के कारण पर्यावरण नकारात्मक रूप से प्रभावित है नीचे कुछ फैक्ट दिए गए है जिनके द्वारा मानव पर्यावरण को नुकसान पहुचा रहा है.
#जल प्रदूषण: औधोगिकीकरण ने लाखो उद्योगों को जीवनदान दिया है ऐसे में उद्योगों से निकलने वाला कचरा, रासायनिक उर्वरक आदि को घरेलू सीवेज जल स्रोतों में छोड़ा जाता है जिससे जल प्रदूषित होता हैं। तथा इसका प्रभाव जलीय जीवों के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
#वायु प्रदूषण: वाहनों, कारखानों, चिमनियो और थर्मल पावर प्लांटों से निकलने वाले धुएं और गैसों से वायु प्रदूषित होती है। इसमें मुख्यतः कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें शामिल हैं। जो पर्यावरण के साथ-साथ मानव जीवन को भी दुष्प्रभावित करती है.
#प्लास्टिक प्रदूषण: वर्त्तमान समय में प्लास्टिक प्रदूषण का खतरा और बढ़ता जा रहा है क्योंकि प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग और उसका अव्यवस्थित निपटान पर्यावरण के लिए बेहद घातक है। प्लास्टिक न केवल जल और मृदा को प्रदूषित करता है, बल्कि वन्यजीवों के लिए भी खतरा उत्पन्न करता है। साथ ही इसे जलाने पर भारी मात्रा में वायु प्रदूषण भी फैलता है.
#समुद्री प्रदूषण: वर्त्तमान समय में समुद्री प्रदूषण भी चिंता का विषय बन चुका है अधिक जाने समुद्री प्रदूषण के विषय में|
पर्यावरण संरक्षण के उपाय
पर्यावरण को निम्नलिखित उपायो से संरक्षित किया जा सकते है .
- पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग): कागज, प्लास्टिक, धातु, ई-कचरे और ग्लास जैसे सामग्रियों का पुनर्चक्रण
- ऊर्जा की बचत (नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग)
- जल संरक्षण
- वृक्षारोपण (अधिक पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें)
- रसायनों का नियंत्रित उपयोग
- जैविक कृषि
- सतत् विकास लक्ष्य की पूर्ती
पर्यावरण संरक्षण के ये सभी उपाय न केवल हमारे पर्यावरण को संरक्षित करेंगे बल्की सभी जीको को भी संरक्षण प्राप्त होगा, अत: हमे पर्यावरण संरक्षण के लिए अहम कदम उठाने चाहिए