पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई? तारों भरी राते, लोगो को हमेशा से आकर्षित करती आई है आपने भी इन तारो के बारे मे जरुर सोचा होगा, जैसे कि आकाश मे कितने तारे है? ये तारे कितने दूर है? इनका निर्माण कैसे हुआ? इत्यादि आज हम इस लेख मे पृथ्वी की उत्पत्ती व तारों के निर्माण की प्रक्रिया जानेंगे।
वैज्ञानिको व दार्शनिको ने पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में अनेक सिद्धांतो दिये हैं। एक सिद्धांत के अनुसार, यह सोलर सिस्टम के अन्य ग्रहों की तरह धूल, गैस, और धरातल से बनी थी। दूसरे सिद्धांत में, सोलर नेबूला के एक हिस्से के रूप में इसका उदय हुआ था, जिसमें धूल, गैस, और धरातल के प्रकरण धीरे-धीरे एकत्रित हुए थे। इन प्रक्रियाओं के फलस्वरूप, पृथ्वी बनी, लेकिन वर्तमान मे यह सिध्दांत मान्य नही, आइये हम पृथ्वी के उत्पती के पुराने व नये दोनो सिधांतों को विस्तार से जानते है।
पृथ्वी की उत्पत्ति कैसे हुई? (prithvi ki utpatti kaise hui)
पृथ्वी की उत्पत्ति के आरम्भिक विचार: मानव ज्ञान के अनुसार, पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में कई सिद्धांत हैं। सबसे प्रमुख तथ्य है कि लगभग 46 अरब साल पहले, सौरमंडल के अन्य ग्रहों की तरह, पृथ्वी भी सौरमंडलीय नेबूला के एक हिस्से के रूप में शुरू हुई थी।
सर्वप्रथम महान दार्शनिक इमैनुअल कांट ने पृथ्वी की उत्पत्ति का सिध्दांत दिया, जिसमे 1779 ई0 मे गणितज्ञ लाप्लेस ने संशोधन प्रस्तुत किया, जिसे नीहारिका परिकल्पना (Nebular Hypothesis) के नामा से जाना जाता है। इस सिध्दांत के अनुसार ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घुमते हुये पदार्थों के बादल से हुआ है। जो सूर्य का ही भाग माना जाता है।
पृथ्वी की उत्पत्ति के आधुनिक (नये) विचार: ब्रह्मांड की उत्पत्ति के लिए हमारी वर्तमान, सर्वश्रेष्ठ परिकल्पना को ‘बिग बैंग’ कहा जाता है। बिग बैंग का कारण अज्ञात है, और यह भी संभावना है कि इससे पहले कुछ भी था। लेकिन हमने इसके बाद ब्रह्मांड के विकास के बारे में बहुत कुछ सीखा है और यह अभी भी जारी है। बिग बैंग के अस्तित्व का प्रमाण विभिन्न तथ्यों द्वारा समर्थित है, जैसे कि दूरबीनों से देखे गए गैलेक्सियों की गतियां, विस्फोटों के दौरान उत्पन्न होने वाली कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड विकिरण, और ब्रह्मांड में पाए गए रासायनिक तत्वों की बहुतायत।