मुद्रास्फीति या महंगाई, अर्थव्यवस्था में होने वाली सामान्य बढ़ोत्तरी है, जिससे विभिन्न वस्तुयों और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। जब वस्तु और सेवाओं की मूल्यें बढ़ती हैं, तो मुद्रा की क्रय शक्ति (खरीदने की क्षमता) में कमी आती है, यह जनता/समाज के लिए बहुत ही हानिकारक होता है. आइये मुद्रास्फिति को विस्तार से जानते है.
मुद्रास्फिति क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, मुद्रास्फीति एक निश्चित समय अवधि में वस्तुओ एवं सेवाओ के कीमतों में वृद्धि की दर है, जिसमें सभी वस्तुएं और सेवाएं शामिल होती हैं। अर्थात सभी वस्तुये एवं सेवाये महंगी हो रही हैं.
अर्थशास्त्री कहते हैं कि मुद्रास्फीति उस समय होती है जब पैसे की आपूर्ति अधिक होती है, यानी अधिक मात्रा में पैसा छापा जाता है जिससे अर्थव्यवस्था में असंतुलन आ जाता है। जिससे मुद्रास्फिति जैसी समस्याये उत्पन्न होती है इसके कारण देश के नागरिको को बहुत नुकसान होता है, क्योंकि उनके द्वारा खरीदी जा रही वस्तुयों की कीमतों मे बढ़ौतरी हो जाती हैं और उनके पैसो का मूल्य कम हो जाता है। जिससे समाज मे निर्धनता बढ़ती है।
मुद्रास्फिति (Mudrasfiti) के कारण वस्तु या सेवाये महंगी हो जाती है जिससे मुद्रा की क्रय शक्ति क्षमता मे कमी आती है इसके परिणाम स्वरुप समाज मे निर्धनता, तरलता मे वृध्दि आदि दुष्प्रभाव उत्पन्न हो जाते है।
मुद्रास्फिति के प्रकार
मुद्रास्फिति मे वृध्दि 2 प्रकार से होती है जिसे हम मुद्रास्फिति के प्रकार की श्रेणी मे रखते है।
- सामान्य वृध्दि – अर्थव्यवस्था मे जीडीपी और संवृध्दि दर बढ़ाने में सहायक होता है
- अत्यधिक वृध्दि – अर्थव्यवस्था में स्टेजफ्लेसन (Stagflation) की स्थिति उत्पन्न करता है|
स्टेजफ्लेसन (Stagflation) = उच्च मुद्रास्फिति + मंदी + बेरोजगारी, को कहते है।
भारत मे मुद्रास्फिति के कारण
भारत मे मुद्रास्फिति के कई कारण है खासकर भारत मे अत्यधिक आबादी एवंं आर्थिक असमानताये मुद्रास्फीति को प्रभावी बनाती है। भारत मे मुद्रास्फिति के निम्नलिखित कारण हो सकते है।
- जमाखोरी के कारण
- रुपये का मूल्यह्रास के कारण
- लागत जन्य कारण
- मांग जनित कारण
- खाद्य मुद्रास्फिति के कारण
- संरचनात्मक कमी के कारण
- आयतित के कारण
#जमाखोरी के कारण: जब कोई व्यक्ति व्यापारी आवश्यक वस्तु का निर्धारित सीमा से अधिक भंडारण करता है उसे जमाखोरी कहते हैं जमाखोरी बाजार में वस्तु की आपूर्ति को प्रभावित करता है जिसमें वास्तु के मूल्य में वृद्धि होती है भारत में दंडनीय अपराध है
#मांग जनित कारण: जब बाजार में मुद्रा की आपूर्ति या तरलता में वृद्धि होती है मांग में वृद्धि होती है किंतु वस्तु की आपूर्ति न बढ़ने के कारण उसके मूल में वृद्धि होती है इसे ही मांगनीत मुद्रास्फीति या मांग आधारित मुद्रास्फिति कहा जाता है
#लागत जनित कारण: जब बाजार में वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि का कारण लागत हो तो उसे लागत जनित मुद्रास्फीति कहते हैं उदाहरण के लिए- ब्याज दर्ज में वृद्धि, प्रशासनिक मूल्य में वृद्धि जमीन की वृद्धि, परिवहन लागत में वृद्धि, भंडार लागत में वृद्धि, इत्यादि
#आयतित कारण: जब विदेशों से आयात महंगा होता है तब घरेलू बाजार में सब उसमें निर्मित वस्तुएं महंगी हो जाती है इसे आयातित मुद्रास्फीति कहा जाता है
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मुद्रास्फीति के प्रभाव
मुद्रास्फिति के निम्नलिखित प्रभाव हो सकते है
- निवेशकर्ता पर प्रभाव
- बचत पर प्रभाव
- भुगतान संतुलन पर प्रभाव
- कृषकों पर प्रभाव
- ऋणी और ऋणदाता पर प्रभाव
- सार्वजनिक ऋणों पर प्रभाव
- करों पर प्रभाव
- उत्पादकों पर प्रभाव
मुद्रास्फीति को नियन्त्रित करने के उपाय
मुद्रास्फिति को निम्नलिखित तरीको से नियंत्रित किया जा सकता है – मुद्रा की मात्रा पर नियंत्रण, विमुद्रीकरण, सार्वजनिक ऋणों में वृद्धि, करों में वृद्धि, उत्पादन में वृद्धि, बचत को प्रोत्साहन देकर, कीमत निंयत्रण तथा राशन व्यवस्था, इत्यादि
मुद्रास्फिति की गणना
भारते मे मुद्रास्फिति की गणना NSO द्वारा मासिक आधार पर किया जाता है जिसका मंत्रालय MOSPI है यह निम्न आधारो पर किया जाता है
- औसत वार्षिक दर
- बिंदु दर बिंदु पध्दति
- आधार प्रभाव
निष्कर्ष: मुद्रास्फीति जनता के लिए हानिकारक होती है इसके विपरीत, जब मूल्यें घटती हैं, तो उसे अपस्फीति कहा जाता है, यह भी अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक हो सकता है। मुद्रास्फिति को और विस्तार से जानने हेतु,एवं इससे सम्बंधित प्रश्नो को आप कमेंट मे पूछ सकते है, हम जल्द ही इसका उत्तर देंगे।