सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है इसकी मुख्य विशेषता यह है की यह भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता थी इस सभ्यता का नामकरण जॉन मार्शल द्वारा किया गया था एवं इस सभ्यता का समय काल 2300 से 1500 ई०पू० तक माना जाता है.
पाषाण काल के बाद किसी सभ्यता का साक्ष्य मिलता है तो वो है सिंधु घाटी सभ्यता, इस सभ्यता के लोग व्यस्थित, सुसंगठित, स्वास्थ्यप्रद नगरीय जीवन जीते थे ‘इस समय काल में हड़प्पा सभ्यता के समान, पूरे विश्व में कही भी नगर विकसित होने के प्रमाण नही मिलते है’ (अस्पष्ट, अभी भी अनुसंधान जारी है)
अगर हम सिंधु घाटी सभ्यता की मुख्य विशेषताएं देंखे तो, यह भारतीय उपमाद्वीप की प्रथम नगरीय क्रान्ति थी तथा यहाँ के लोग सुव्यस्थित, सुसंगठित, स्वास्थ्यप्रद नगरीय जीवन जीते थे आइये इसे विस्तार से जानते है.
सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं
सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है.
- यह भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता थी
- सिधु सभ्यता के लोग नगर का नियोजन करते थे नगरो के सुरक्षा के लिए ऊँचे टीले बनाए गए थे साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से गढ़ी वाच टावर भी बनाये गए थे
- हड़प्पा सभ्यता के नगर सड़को, भवनो तथा भवन आकारकी के साथ-साथ ईटो के आकर के स्तर पर भी मानकीकृत थे.
- सिंधु घाटी सभ्यता में स्वास्थ्य में स्वास्थ पर भी ध्यान दिया गया था यहाँ सड़के , नालीया तथा मेनहोल उचित प्रबंधन के साथ साफ़-सुथरे मिले.
- सिंधु घाटी सभ्यता में सड़क नियोजन की उचित व्यवस्था थी यहाँ मुख्य सड़क के साथ-साथ उप सड़क और गलिया भी विद्यमान थी
- हड़प्पा सभ्यता में तीन प्रकार के भवन बनाए जाते थे 1. सार्वजनिक उपयोग भवन, व्यवसायिक भवन, और निजी भवन (आगे विस्तार से है.)
- सिंधु घाटी सभ्यता में जल प्रबंधन की उचित व्यवस्था थी
- सिंधु घाटी सभ्यता में लोग उचित वेशभूषा के साथ-साथ सौंदर्य भी करते थे.
- यहाँ के लोग शाकाहारी व मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन करते थे.
- इस सभ्यता के लोग मनोरंजन हेतु संगीत, नृत्य, खेल, शिकार के साथ-साथ पशुओ की तथा लड़ाई भी कराते थे.
- यहाँ के लोग सभी प्रकार के शावाधान से परिचित थे.
- यहाँ के लोग बहुआयामी आर्थिक गतिविधियों से युक्त थे
- यहाँ के लोग पशुपालन के साथ साथ पशु का व्यापार भी करते थे
- यहाँ के लोग कृषि से परिचित थे, गेहू, जौ, चना, मटर, तिलहन आदि की खेती करते थी.
- सिंधु घाटी सभ्यता के लोग धातु उद्योग से परिचित थे.
सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं विस्तार से
सिन्धु सभ्यता का समाज बहुआयामी समाज था इसकी कई अन्य विशेषताएं भी है जिनका वर्णन नीचे विस्तार से किया गया है
सामाजिक विशेषता
सिन्धु सभ्यता का समाज बहुआयामी समाज था यहाँ के लोग कृषि के साथ-साथ व्यापार भी करते थे तथा इस समाज में धार्मिक क्रियाकलाप भी चलन में था, साक्ष्य बताते है की यहाँ के लोग वृक्ष पूजा, नागपूजा, लिंगपूजा, अग्निकुंड, पशुबलि भी दिया करते थे अर्थात ये परलौकिक जीवन मे भी विश्वास करते थे. हालाकि सिंधु सभ्यता के सामाजिक दर्शन के बारे मे, अभी भी स्पष्ट ज्ञान नही है. आइसे यहाँ के समाज से सम्बंधित अन्य विशेषताये जानते है.
सिन्धु समाज में वेशभूषा और सौन्दर्य की विशेषता: यहाँ के पुरुष कमर के नीचे धोती जैसा वस्त्र पहनते थे प्राय: ऊपर के भाग में कुछ नही पहनते थे लेकिन विशिष्ट पर्यावरण दशाओं जैसे- ठंडी में शाल या चादर का पर्योग करते थे, स्त्रिया कमर के नीचे धोती पहनती थी तथा स्तनों के ढकने के लिए वस्त्र का प्रयोग करती थी. यह समाज सौन्दर्य प्रधान समाज था पुरुष और स्त्री दोनों यथासभावं सुन्दर दिखने हेतु सौन्दर्य करते थे.
यहाँ के लोगों द्वारा सौन्दर्य प्रसाधान के रूप में सिन्दूर व सुरमे (काजल) लगाने की भी प्रमाण मिलता है तथा आभूषणों के रूप में मनकों से निर्मित हार, ताबीज आदि का भी प्रमाण मिलता है
मृदभांड का उपयोग: सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मिट्टी के बर्तनो का प्रयोग करते थे ये बर्तन सामान्यतः कुम्हार के चाक द्वारा बनाये जाते थे
धार्मिक जीवन की विशेषता: सिंधु घाटी सभ्यता के लोग परालौकिक जीवन में विश्वास करते थे यहाँ के लोग वृक्ष पूजा, पशु पूजा, नागपूजा, लिंगपूजा, योनि पूजा, अग्निकुंड इ साथ-साथ पशुबलि भी दिया करते थे. इस सभ्यता से हमें अनेक मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई है जो कांसे से निर्मित थी जैसे नर्तकी की मूर्ति, बैल की तांबे की आकृतियां आदि, इस सभ्यता से हमें जैविक व् अजैविक वस्तुओ की पूजा के प्रमाण मिले है जो प्रेतावाद को दर्शाता है
कृषि युक्त समाज: सिंधु सभ्यता के लोग कृषी से परिचित थे वो कृषि मे अन्न (गेहू, जौ, ज्वार बाजारा, आदि) फसल उगाते थे फल-फूल मे वो खजूर, तरबूज, नीबू, केला आदि का उतापदन करते थे कालीबंगा से हमे जुते हुए खेत के प्रमाण मिलते है जिन्हे हल द्वारा जोता गया था. लोथल और बनावली से मिले साक्ष्य से पता चलता है की यहाँ के लोग गेहूँ, जौ, सरसो, मटर आदि की खेती करते था।
नगर नियोजन की विशेषता
हड़प्पा सभ्यता या सिंधु घाटी सभ्यता अपने नगर नियोजन की विशेषता के कारण, अपनी एक अलग पहचान रखता है इस सभ्यता ने नगर को बसाने के लिए उचित आयोजन किया था इसकी जानकारी हमें यहाँ उपस्थित सुव्यवस्थि भवन, सड़क और विभिन्न प्रकार के अन्य सार्वजनिक स्थल के रूप में मिलते है यहाँ उपस्थित नगर सामान्यत: पश्चिम से पूर्व की और बसाए जाते थे तथा कुछ घरो को सुरक्षा दीवार से भी घेरा जाता था तथा तथा इस सभ्यता में गढ़ी वाच टावर के भी साक्ष्य मिलते है जो सुरक्षा प्रहरीइ के लिए बनाये गए थे.
सड़क निर्माण की विशेषता: इस सभ्यता ने प्रत्येक हिस्से के लिए सड़क बना रखी थी हालाकी ये सभी सड़के कच्ची थी सिन्धु सभ्यता काल में मुख्य सड़क के साथ-साथ उप सड़क और गलिया भी बनाई गई थी, साथ ही सड़क के किनारे नालिया भी बनी थी जो शायद जल के निस्तारण के उपयोग में लाई जाती थी.
भवन निर्माण की विशेषता: सिन्धु सभ्यता से हमें तीन प्रकार के भवन मिले है जैसे स्नानागार, अन्नागार, खेल समारोह भवन, आदि जो सार्वजनिक उपयोग के लिए बनाए गए थी साथ ही श्रमिको के लिए आवास, बाजार, विश्राम स्थल, आदि व्यवसायिक भवन के रूप में बनाये गए थे, निजी भवन की बात करे तो यहाँ के लोग रहने के लिए नीजी भवन का उपयोग करते थे, यहाँ पर एक से अधिक मंजिल के प्रमाण भी मिलते है जहां सीढ़िया भी बनाई गई थी.
व्यापार एक वाणिज्यिक विशेषता
यह सभ्यता व्यापार एक वाणिज्य आधारित नगरीय व्यवस्था थी अर्थात इस सभ्यता के लोग व्यापार से परिचित थे इस सभ्यता के लोगों द्वारा वजन और माप प्रणाली का भी उपयोग किया जाता था इसके लिए कई उपकरण प्रयोग में लाये जाते थे जो 16 के गुणज पर आधारित थे जबकि लम्बाई से सम्बंधित पैमाने मिट्टी, ताम्बे व सीप के बने थे जो लगभग 16.7 इंच के आसपास के थे.
इस सभ्यता के लोग अधिकांश व्यापार वस्तु विनिमय प्रणाली के द्वारा करते थे, साथ ही यह व्यापार के लिए पहिया गाड़ी, तथा पशुओ आदि का भी प्रयोग करते थे, भार वाहक पशुओ मे हाथी, गधा, बैल, आदि शामिल थे