सिंधु सभ्यता, विश्व की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओ मे से एक है तथा भारत की पहली नगरी सभ्यता है इस सभ्यता का अधिकाँश क्षेत्र सिन्धु नदी घाटी में फैला हुआ था इसलिए इसे सिन्धु घाटी सभ्यता के नाम से जाना जाने लगा। साक्ष्य बताते है की पहली बार नगरी व्यवस्था का उदय यही हुआ था इसलिए इसे प्रथम नगरीकरण भी कहा जाता है। आइये आज हम इस लेख में जानते है कि सिंधु सभ्यता का सामाजिक जीवन कैसा था?
सिंधु सभ्यता का सामाजिक जीवन
सिंधु सभ्यता सबसे विकसित सभ्यताओ मे से एक था, यहाँ के लोग वेशभूषा, कृषि, पशुपालन, अलंकरण इत्यादि जैसे कार्य करते थे जो वर्तमान मे भी लोगो द्वारा किया जाता है पहली बार कांस्य के प्रयोग के कारण इसे कांस्य सभ्यता भी कहा जाता है। हड़प्पा समाज मातृ-प्रधान समाज था। लेकिन अभी भी सिंधु सभ्यता के सामाजिक दर्शन के बारे में स्पष्ट ज्ञान उपलब्ध नहीं है।
सिंधु सभ्यता मे विकसित नगर पाये जाने के भी साक्ष्य मिलते है तथा यहाँ से मिली मोहरों, वजन और मापन की विधियों से पता चलता है कि यहाँ के लोग सिंधु व्यापार भी करते थे। आइये सिंधु सभ्यता के लोगो द्वारा सामाजिक जीवन मे किये गये क्रियाकलापो को देखते है।
Read Now>> सिंधु घाटी सभ्यता (महत्वपूर्ण बिंदु)
पहनावा या वेशभूषा
सिंधु सभ्यता के लोग पर्यावरणीय अनुकूल वस्त्र पहनते थे पुरुष कमर के नीचे धोती जैसा वस्त्र पहनते थे, कमर के ऊपर सामान्यतः नग्न रहना आम जीवन शैली थी। विशेष समुदाय तथा विशिष्ट पर्यावरणीय दशाओं जैसे जाड़ा में शॉल या चादर जैसी सामग्री प्रयोग की जाती थी। स्त्रियाँ कमर के नीचे धोती तथा स्तनों को ढकने वाले वस्त्र प्रयोग करती थीं।
अलंकरण & मनोरंजन
हड़प्पा समाज, सौंदर्य प्रधान समाज था। पुरुष व स्त्री, दोनों स्वयं को यथासंभव सुंदर दिखाने हेतु केश सज्जा, सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करते थे। लिपस्टिक के प्रमाण चन्हूदड़ो से तथा वेनिटी बॉक्स के प्रमाण, हड़प्पा से मिले हैं।
इस सभ्यता के लोग खान-पान मे शाकाहारी व मांसाहारी, दोनों प्रकार के भोजन करते थे।तथा मनोरंजन हेतु संगीत, नृत्य, शिकार तथा पशुओं की लड़ाई के साथ-साथ खेलों के माध्यम से भी मनोरंजन करते थे। हमें ढोलक व मंजीरा जैसे वाद्य यंत्रों के प्रमाण के साथ-साथ शतरंज जैसे खेलों तथा नृत्यरत नारी के प्रमाण भी मिले हैं।
कृषि कार्य
हड़प्पा सभ्यता कृषि आधारित उत्पादन संबंधित विविधता से युक्त थी, खेती करने के लिये खेतों को हलों से जोता जाता था, जुते हुए खेत के प्रमाण कालीबंगा से प्राप्त हुए हैं, जहाँ खेतों को हल से क्रिस-क्रॉस पद्धति पर जोता गया है। यहाँ एक ही खेत में दो फसलों को (चना, सरसों) उगाने के प्रमाण अर्थात् संयुक्त कृषि के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। यहाँ के लोग गेंहू, मटर, ज्वार, जौ, राई, आदि विभिन्न प्रकार के अनाज पैदा करते थे।
- खाद्यान्न (खाने वाले अन्न): गेहूँ, जौ मुख्य खाद्यान्न फसल थीं, जबकि अन्य फसलों में ज्वार, बाजरा जैसी फसलों को भी उगाया जाता था।
- फल-फूलः खजूर, तरबूज, खरबूज के साथ-साथ बेर, नींबू, केला इत्यादि का उत्पादन होता था।
- शाक-सब्जी: पालक की पत्ती के प्रमाण मिट्टी पर छाप के रूप मिले हैं।
- दलहनः चना व मटर जैसी दाल की फसलें भी उगाते थे।
- तिलहनः सरसों, राई, अलसी, तिल इत्यादि जैसे तेल उत्पादन में सक्षम उत्पाद भी उगाते थे।
सिंचाई व्यवस्थाः सामान्यतः वर्षा जल से सिंचाई होती थी, किंतु कृत्रिम सिंचाई के साधनों का भी विकास मानव ने कर लिया था। कुएँ, तालाब एवं नहर के माध्यम से भी कृत्रिम सिंचाई की जाती थी। कृत्रिम नहर के प्रमाण लोथल से प्राप्त हुए हैं। यहाँ भोगवा नदी पर नहर बनाने के प्रमाण मिले हैं।
पशुपालन
हड़प्पा सभ्यता में पशुधन एक महत्त्वपूर्ण संसाधन था, जिसका बहुआयामी प्रयोग किया जाता था। पशुओं का दूध व भोजन के लिये मांस की प्राप्ति तथा चमड़े व ऊन से ठंड से बचने संबंधी वस्त्रों के निर्माण, चर्बी से दीपक जलाने तथा शिकार में सहयोग के साथ-साथ यातायात के लिये भी प्रयोग किया जाता था
- पालतू पशुः गधा, भैंसा, बैल, भेड़, बकरी, सूअर, कुत्ते, बिल्ली, ऊँट, हाथी, खच्चर इत्यादि।
- भारवाहक पशुः हाथी, भैंसा, गधा, बैल, ऊँट इत्यादि।
- धार्मिक महत्त्व के पशुः कूबड़ वाला बैल तथा डव पक्षी (फाक्ता- कबूतर की प्रजाति)
- शिकारी पशुः कुत्ते द्वारा बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते व बिल्ली के पैरों के निशान चन्दूदड़ो के एक ईंट निर्माण केंद्र (ईंट का भट्टे) से प्राप्त हुए हैं।
शवाधान
विश्व भर में प्रचलित सभी प्रकार के शवाधान हडप्पा सभ्यता में देखने को मिलते हैं, उदाहरण-
- पूर्ण शवाधान: हड़प्पा क्षेत्र/इस्लाम व क्रिश्चियन समुदाय के समान
- अपूर्ण शवाधानः बहावलपुर/पारसी समाज के समान
- दाह संस्कारः मोहनजोदड़ो/हिंदू समाज के समान
प्रमुख नगर
- मोहेनजोदड़ो (सिन्ध पाकिस्तान )
- हड़प्पा (पंजाब पाकिस्तान)
- कालीबंगा( भारत- राजस्थान )
- चन्हूदड़ो ( पाकिस्तान )
- बनवाली (भारत- हरियाणा )
- आलमगीरपुर( भारत- उत्तर प्रदेश )
- लोथल (भारत- गुजरात)
- सुरकोटदा (भारत- गुजरात )
- सूत कांगे डोर( पाकिस्तान )
- गनवेरीवाला (पाकिस्तान)
- कोट दीजी( सिन्ध पाकिस्तान)