हरित क्रांति का अर्थ कृषि के क्षेत्र मे उत्पादन एवं उत्पादकता मे तीव्र वृध्दि लाना है। सम्पूर्ण विश्व मे कृषि परम्परा सदियों से ही चली आ रही है। जहाँ मनुष्य किसी निश्चित क्षेत्र मे फसल उगाते या कृषि करते है और उनका सेवन करके ही जीवन निर्वाह करते थे। यह प्रक्रिया अपने समय अनुसार बहुत ही पुरानी हो चुकी थी। जिसे हरित क्रांति ने नया जीवन दिया।
वर्तमान समय मे जनसंख्या को मद्दे नजर मे रखते हू सभी देशों ने कृषि को बढावा देना प्रारम्भ कर दिया है। ताकी जल्द से जल्द कृषि मे गुणात्मक एवं मात्रात्मक सुधार किया जा सके। यही प्रक्रिया हरित क्रांति है। जिसकी शुरुआत 1960 के दशक मे ही हो चुकी थी, आइये हरित क्रांति को विस्तार से समझते है?
हरित क्रांति क्या है?
हरित क्रांति क्या है: हरित क्रांति कृषि विकास की एक ऐसी प्रक्रिया या साधन है। जिसमे कृषि की पारम्परिक विधियो का प्रतिस्थापन आधुनिक वैज्ञानिक विधियो द्वारा इस तरह से किया जाता है जिससे कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता मे तीव्र वृध्दि हो सके। अर्थात पारम्परिक कृषि के उत्पादन मे तेजी आ सके। इसी सफल प्रक्रिया को हरित क्रांति कहाँ जाता है।
इस प्रकिया की शुरुआत 1960 के दशक मे ही प्रारम्भ हो गई थी। जिसका नेतृत्व “एम.एस स्वामी नाथन” ने किया था तथा सहयोगी “नार्मन वारलांग” एवं मैक्सिको मे किये जा रहे कृषि अनुसंधान का सहयोग लिया गया था। “नार्मन वारलांग”को हरित क्रांति का जनक कहा जाता है। तथा भारत मे हरित क्रांति के जनक “एम.एस. स्वामी नाथन” को कहा जाता है।
हरित क्रांति के जनक – नार्मन वारलांग
भारत मे हरित क्रांति
भारत प्राचीनकाल से ही कृषि प्रधान देश रहा है। परंतु हरित क्रांति का सहयोग मिलने के बाद कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता मे तीव्र वृध्दि हुई है। जिससे भारत आत्मनिर्भर एवं निर्यातक देशो मे शामिल हो गया है।
हरित क्रांति के कारण ही भारत चौमुखी विकास मे सफल हो पाया है। क्योकी हरित क्रांति के कारण ही खाद्यान उत्पादन मे तीव्र वृध्दि हुई और हमारी खाद्य सुरक्षा मजबूत हो पायी है। और अकाल, सूखा, बाढ जैसी गम्भीर समस्यायों मे भी भारत का बफर स्टोक पर्याप्त मात्रा मे संचित है।
हरित क्रांति लाभ & उत्पादन सारणी
भारत मे हरित क्रांति के सहयोग से खाद्यान उत्पादन एवंं उत्पादकता मे तीव्र वृध्दि हुई है। जिसे आप निम्न सारणी के माध्यम से आकलन कर सकते है। यहाँ 1950 से 2022 तक की उपलब्ध है।
No | वर्ष | खाद्यान उत्पादन | उत्पादकता |
1. | 1950 – 51 | 5.26 करोड़ टन | 522 Kg/h |
2. | 1964 – 65 | 8.9 करोड़ टन | 757 Kg/h |
3. | 2000 – 01 | 21.29 करोड़ टन | 1734 Kg/h |
4. | 2015 -16 | 25.30 करोड़ टन | 2070 Kg/h |
5. | 2021 – 22 | 31.65 करोड़ टन | 2400 Kg/h |
हरित क्रांति के फायदे
हरित क्रांति हर देश के लिये लाभप्रद रहा रहा है। तथा सभी देशो ने हरित क्रांति को बढावा देने के लिये कई कार्यक्रमो की शुरुआत की गई, जिनमे शंकर बीज, पर्याप्त मात्रा मे जल मुहैया करवाना एवं उर्वरक से लेकर कई वस्तुये शामिल है। हरित क्रांति आने से अनेको फायदे है। कुछ फायदे निम्न है।
- कृषि मे तीव्र वृध्दि
- कृषको के दशायों मे सुधार
- खाद्यान भण्डारण
- कृषि मे स्थिरिता एवं विकास
- मनसून पर कम निर्भरता
- अनाजो का अधिक उत्पादन