भारत के प्रमुख अंतरिक्ष मिशन | Famous space mission of India

वर्तमान मे हमारा भारत देश अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र मे सबसे अग्रणी देशों मे से एक है हाल ही मे लांच चंद्रयान 3 को विश्व का सबसे अधिक लाइव देखे जाने वाला मिशन बन गया है। आज हम इस लेख मे भारत के प्रमुख अंतरिक्ष मिशन (Famous space mission of India) के नाम जानेंगे।

अंतरिक्ष मिशन भारत
अंतरिक्ष मिशन भारत

भारत के प्रमुख अंतरिक्ष मिशन – Famous space mission of India

अंतरिक्ष मिशन: हमारे देश का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है जिसे इसरो (ISRO) के नाम से भी जाना जाता है इसका मुख्यालय बंगलौर (कर्नाटक) में है।

ISRO का मुख्य कार्य अंतरिक्ष सम्बधी तकनीक उपलब्ध करवाना है जैसे- उपग्रह, साउन्डिंग राकेट, प्रमोचक यान, और भू-प्रणालियों का विकास करना आदि शामिल है। आगे की लेख मे भारत के प्रमुख अंतरिक्ष मिशन – Famous space mission of India के नाम दिये गये है,

SSLV-D2/EOS-07 मिशन

इसरो ने पहली बार अपना सबसे छोटा रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च ह्वीकल (SSLV) सफलतापूर्वक लॉन्च किया, SSLV-D2 की मदद से EOS-07, Janus-1 और Azaadi SAT-2 सैटेलाइट को 450 किमी. की कक्षा में स्थापित किया गया था, इस मिशन में अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट EOS-07 को अंतरिक्ष में भेजा गया,

AzaadiSAT-2 सैटेलाइट किड्ज इंडिया के नेतृत्व में भारत की लगभग 750 छात्राओं का एक संयुक्त प्रयास है, वहीं Janus-1 अमेरिका के ANTARIS की 10.2 किलोग्राम की सैटेलाइट हैं। EOS-07 का उपयोग अन्य लाभ hat b साथ उपग्रह प्रौद्योगिकी में सुधार करना है, जो भविष्य में अंतरिक्ष मिशनों को बल प्रदान करेगा।

LVM3 M3/ One Web India-2 Mission

  • इस मिशन में इसरो ने LVM3 लॉन्च ह्वीकल से वन वेब ग्रुप कंपनी की 36 सैटेलाइटों को 87.4 डिग्री के झुकाव के साथ 450 किमी. की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया था, इसमें रॉकेट द्वारा कुल 5805 किग्रा. भार के साथ उड़ान भरा गया।
  • यह मिशन इस मायने में पेचीदा था कि सभी सैटेलाइटों को इस तरह एक तय समय के बाद स्थापित करना था कि इनकी आपस में टक्कर न हो और वो सटीक कक्षाओं में भी स्थापित हो जाएँ, यह इसरो के सबसे भारी लॉन्च ह्वीकल LVM3 की लगातार छठी सफल उड़ान थी। वन वेब के पास पहले से ही विश्व भर के प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में संयोजकता समाधान सक्रिय हैं और यह नए क्षेत्रों को भी कवर करने का प्रयास करेगा।

PSLV-C55/TeLEOS-2 Mission

अंतरिक्ष मिशन: ISRO ने आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सिंगापुर के दो सैटेलाइट TeLEOS-2 और LUMELITE-4 को लॉन्च किया, जिसमें TeLEOS-2 सैटेलाइट हर मौसम में दिन और रात की कवरेज प्रदान करने में सक्षम होगा

GSLV-F12/NVS-01 Mission

  • GSLV-F12/NVS-01 मिशन 29 मई, 2023 को सफलतापूर्वक पूरा हुआ। इस जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) मिशन ने लगभग 2232 किग्रा. वज़न वाले NVS-01 नेविगेशन सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में तैनात किया। NVS-01 में नेविगेशन पेलोड L1, L5 और S बैंड थे।
  • NVS-01 भारतीय नेविगेशन सेवाओं में परिकल्पित दूसरी पीढ़ी के उपग्रहों में से पहला है। एनवीएस श्रृंखला के उपग्रह से NavIC की सटीकता में वृद्धि होगी। इस श्रृंखला में सेवाओं को व्यापक बनाने के लिये अतिरिक्त रूप से LI बैंड सिग्नल शामिल किये गए हैं। एनवीएस-01 में पहली बार स्वदेशी परमाणु घड़ी उड़ाई जाएगी। अन्य लाभों के साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में सुधार होगा।
चक्रवात क्या है?
सौर ज्वाला क्या है?

14 जुलाई: चंद्रयान-3

  • यह मिशन साल का सबसे चर्चित स्पेस मिशन है। 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को धरती से चाँद के लिये रवाना किया गया था, 40 दिनों की लंबी यात्रा के बाद 23 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चाँद पर साफ्ट लैंडिग करने में सफल रहा, इसका मकसद चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोवर की क्षमता दिखाना है।
  • चंद्रयान-3 ने दुनिया भर में इतिहास रच दिया, भारत चंद्रमा पर अंतरिक्षयान की सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश है। यही नहीं, भारत इकलौता ऐसा देश बन गया, जिसने साउथ पोल पर लैंडिंग की हो, चंद्रमा पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर ने उसमें से निकलकर चंद्रमा की सतह पर घूमकर शोध किया और नई जानकारी जुटाई। इससे चंद्रमा के साथ पृथ्वी को समझने में आसानी होगी।
  • इसके माध्यम से चंद्रमा के भूकंपों, सतह के थर्मल गुण, सतह के पास प्लाज्मा परिवर्तन आदि का अध्ययन किया जाएगा।

PSLV-C56/DS-SAR Mission

  • इसरो ने 30 जुलाई को एक साथ सिंगापुर के सात सैटेलाइट को लॉन्च किया था। इसमें शामिल DS-SAR सैटेलाइट को सिंगापुर की डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी एजेंसी (DSTA) और ST इंजीनियरिंग के बीच साझेदारी के तहत विकसित किया गया है।
  • इसका इस्तेमाल सिंगापुर सरकार के भीतर अलग-अलग एजेंसियों की सैटेलाइट इमेजरी आवश्यकताओं का समर्थन करने के लिये किया जाएगा, इसमें मौजूद SAR पेलोड की मदद से हर मौसम में दिन और रात को कवरेज रहेगी।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top