भाषा एक माध्यम है जिसका उपयोग मनुष्यों के बीच संचार के लिए किया जाता है। यह मानवीय संज्ञान, विचार, भावनाएं, और ज्ञान को व्यक्त करने का साधन है। भाषा साधारणतया शब्दों, वाक्यों, और वाक्यांशों के संगठन द्वारा बनाई जाती है।
इसके माध्यम से मनुष्य विचारों, विचारधाराओं, अभिप्रेतियों, और ज्ञान को अन्य लोगों के साथ साझा कर सकता है। यह उससे बातचीत, साझा समझ, विचार-विनिमय, और सामान्य समुचित रहने की क्षमता सुनिश्चित करती है।
भाषा कई रूपों और शैलियों में पाई जाती है, जैसे कि व्याकरण, शब्दावली, व्याख्या, भाषा का उच्चारण, और सांकेतिक चिन्हों का उपयोग। हर भाषा अपनी खास विशेषताओं, संरचनाओं, और नियमों के साथ आती है। भाषा सामान्यतः एक सामाजिक संबंध है और एक समुदाय के सदस्यों के बीच साझा की जाती है।भाषा के विभिन्न उदाहरणों में अंग्रेजी, हिंदी, स्पेनिश, फ्रेंच, चीनी, और जर्मन आदि
इस लेख में हम भाषा क्या है (bhasha kya hai) परिभाषा, भेद और उदाहरण आदि का विस्तार से जानकारी संग्रह किया गया है। यह लेख सभी स्तर के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है। भाषा से संबंधित प्रश्न अधिकांश मौखिक एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। जहां विद्यार्थी इन प्रश्नों के उत्तर देने में असमर्थ होते हैं।
भाषा क्या है (bhasha kya hai)
जिस साधन द्वारा हम अपने विचारो को बोलकर, लिखकर अथवा संकेतो द्वारा समझाते है उसे भाषा कहते है। या यू कहे की जिस साधन द्वारा हम अपने विचारो को एक दूसरे समझा सके एवं सके सके, उसे भाषा कहते है।
मुख्यत: हम किसी के विचार या भाव को मौखिक, लिखित एवं सांकेतिक भाषा के माध्यम से ही समझते है। जिसे भाषा का प्रकार भी कहा जाता है।
भाषा के भेद
समान्यरुप से भाषा के दो भेद होते है। लेकिन संकेत को भी भाषा का एक रुप माना जाता है।
- लिखित भाषा
- मौखिक भाषा
- सांकेतिक भाषा
मौखिक भाषा
जब मन के विचारों को बोलकर प्रकट किया जाता है तब भाषा का मौखिक रूप देखने को मिलता है। संसार के अधिकतर काम भाषा के इसी रूप द्वारा सम्पन्न किए जाते हैं।सभी लोग बात चीत मौखिक भाषा में ही करते हैं। इसके अतिरिक्त बात विवाद, भाषण, गाना, या फिर किसी घटना या कहानी आदि को सुनने में भी भाषा के मौखिक रूप का ही प्रयोग किया जाता है।
जैसे- किसी से बात करना मौखिक भाषा का सबसे अच्छा उदाहरण है। इसी प्रकार गीत, भजन, भाषण, बोल-चाल आदि सभी मौखिक भाषा के ही स्वरुप है।
लिखित भाषा
जब हम अपने विचारो को लिखित रुप मे व्यक्त करते है तो यह लिखित भाषा का स्वरुप होता है। या जब कभी हमे अपने विचारो को किसी दूर रहने वाले व्यक्ति को पहुंचाने होते हैं तो उन्हें लिखकर पत्र के रूप मे प्रकट करते हैं। इसे लिखित भाषा कहते हैं। इसके अतिरिक्त,लेख, कहानी, पुस्तक, समाचार पत्र तथा कार्यलय आदि के कार्यों में भाषा के लिखित रूप का ही प्रयोग किया जाता है।
सांकेतिक भाषा
सांकेतिक भाषा एक ऐसी भाषा है जो संकेत, चित्र, सिग्नल्स, या अन्य सांकेतिक माध्यमों का उपयोग करके संचार की जाती है। यह भाषा व्यक्तियों के बीच संवाद करने का एक विशेष तरीका है जहां शब्दों की जगह चित्र, चिह्न, चित्रलेख, या अन्य संकेतों का उपयोग होता है। सांकेतिक भाषा का उपयोग अक्सर जब वचनिक भाषा की अनुपलब्धि होती है या जब आवश्यकता होती है जब वचनिक भाषा संचार के लिए प्रभावी नहीं होती है।
एक उदाहरण के रूप में, मौनव्रती संगठनों जैसे कि वृक्षों के संरक्षण के लिए चिह्नों का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, एक हरित बार चिह्न एक वृक्ष को बचाने के लिए प्रतिष्ठान का प्रतीक हो सकता है। इस तरह के सांकेतिक भाषा का उपयोग लोगों को वृक्षों की संरक्षा के बारे में जागरूक करने और समझाने में मदद करता है जबकि वाणिज्यिक भाषा में इसे अद्यतन करने की जरूरत नहीं होती है।
बोली क्या है ?
भाषा के क्षेत्रिय रूप को बोली कहते हैं। एक भाषा में स्थान भेद से बोल चाल के क ई रूप होते हैं। ऐसे रूप भाषा विशेष की बोलियां कहे जाते हैं। हिन्दी देश के बहुत बड़े क्षेत्र की भाषा है। इसके क ई क्षेत्रिय रूप है। ये क्षेत्रिय रूप इसकी बोलियां कहे जाते हैं। हिन्दी की क ई बोलियां हैं। जैसे,,,, हरियाणवी, अवधि, मैथिली, ब्रज आदि।
- मातृभाषा- जो भाषा बच्चे अपने घर में अपने माता पिता से सिखते है उसे मातृभाषा कहते हैं।
- राष्ट्रभाषा- जो भाषा देश के अधिकांश नागरिकों द्वारा बोली या पढ़ी जाती है उसे हम राष्ट्रभाषा कहते हैं।
- राजभाषा- पूरे राष्ट्र अथवा देश के सरकारी काम काज के प्रयोग में लाई जाने वाली भाषा देश की राजभाषा कहलाती है ।
भाषा के अंग
भाषा के तीन अंग होते हैं।
- वर्ण
- शब्द
- वाक्य
वर्णों के योग से शब्द और शब्दों के योग से वाक्य बनते हैं। वाक्य ही भाषा है। इस प्रकार भाषा के तीन अंग है। वर्ण, शब्द, और वाक्य।
भाषा से व्याकरण बनता है, व्याकरण से भाषा नहीं बनती।
याद रखिए
भाषा को शुद्ध रूप में लिखने पढ़ने, बोलने और समझने की शिक्षा देने वाली विद्या का नाम व्याकरण है। या व्याकरण वह शास्त्र है जिसके द्वारा हम भाषा को शुद्ध रूप से पढ़ना लिखना और बोलना समझते हैं।
व्याकरण के कुछ रोचक तथ्य
- व्याकरण भाषा के शब्दों और वाक्यों को शुद्ध अशुध्द होने की परख कराता है।
- भाषा के प्रयोग के नियम निर्धारित करता है।
- शब्दों के नये रूपों के निर्माण की विधि बताता है।
- भाषा के एकरुपता को बनाएं रखता है।
व्याकरण के अंग अथवा विभाग
व्याकरण के तीन अंग होते हैं।
- वर्ण विचार
- शब्द विचार
- वाक्य विचार
वर्ण विचार वर्ण भाषा की मूल इकाई है। प्रत्येक शब्द वर्णों के योग से बनता है। व्याकरण के इस अंग के अन्तर्गत वर्णमाला, वर्णों के भेद, उच्चारण तथा प्रयोग आदि पर विचार किया जाता है।
शब्द विचार- इसमें शब्दों की रचना, उसके लिंग,वचन और कारक आदि के विषय में विचार किया जाता है।
वाक्य विचार- इसके अन्तर्गत वाक्यों की रचना, वाक्यों के भेद, तथा वाक्यों में पदों के स्थान विश्लेषण आदि पर विचार किया जाता है।
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