भरतनाट्यम (bharatnatyam) नृत्य, भारत के दक्षिणी राज्य तमिलानाडू का प्रमुख लोकनृत्य है इस नृत्य को भारत में शास्त्रीय नृत्य (Classical Dance in India) मे शामिल किया जाता है लोकदृष्टि से शिव की नटराज मूर्ति, शास्त्रीय नृत्य का ही प्रतीक है, जिसमें नृत्य के हाव-भाव एवं मुद्राओं का समावेश है।
भारतीय नृत्य (Bharatnatyam Nrity) परंपरा में शास्त्रीय नृत्य की 4 शैलियाँ प्रचलित थीं- भरतनाट्यम, कथकली, कथक एवं मणिपुरी। कुचिपुड़ी एवं ओडिसी को शास्त्रीय नृत्य की मान्यता बाद में मिली। इस प्रकार वर्तमान समय में 8 शास्त्रीय नृत्य प्रचलित हैं, आज हम इस लेख मे तमिलनाडू का लोकप्रिय नृत्य भरतनाट्यम नृत्य के बारे मे जानेंगे।
भरतनाट्यम नृत्य (तमिलनाडु) | Bharatnatyam in Hindi
Bharatnatyam in Hindi: इस नृत्य शैली का विकास तमिलनाडु में हुआ। जो तमिल संस्कृति में लोकप्रिय एकल नृत्य है, यह नृत्य प्राय: महिलाओ द्वारा किया जाता है मान्यता है कि भरतनाट्यम नृत्य शुरुआती दिनों में मंदिर की देवदासियों द्वारा भगवान की मूर्ति के समक्ष किया जाता था। इसलिए इसे ‘दासीअट्टम’ के नाम से भी जाना जाता है।
इस नृत्य में शारीरिक भंगिमा पर विशेष बल दिया जाता है। नृत्य का आरंभ आलारिपु/स्तुति से तथा अंत तिल्लाना एवं श्लोकम् से होता है। इस नृत्य का उदाहरण नटराज की मूर्ति को माना जाता है। इसमें पैरों से लयबद्ध तरीके से जमीन पर थाप दी जाती है, पैर घुटने से विशेष रूप से झुके रहते हैं तथा हाथ, गर्दन और कंधे विशेष तरीके से गतिमान होते हैं।
भरतनाट्यम नृत्य कैसे करें – Bharatnatyam Kaise Kare
भरतनाट्यम (Bharatnatyam) में नृत्य और अभिनय सम्मिलित होते हैं। भरतनाट्यम में शारीरिक प्रक्रिया को तीन भागों में बाँटा जाता है- समभंग, अभंग एवं त्रिभंग। इस नृत्य के प्रमुख कलाकारों में पद्मा सुब्रह्मण्यम, यामिनी कृष्णमूर्ति, सोनल मानसिंह, मृणालिनी साराभाई, मल्लिका साराभाई आदि हैं। इस नृत्य को निम्नलिखित क्रमों में किया जाता है
- आलारिपु : यह इस नृत्य का शुरुआती चरण होता है। इसमें नर्तक अपने नृत्य देवता तथा दर्शकों की स्तुति कर नृत्य प्रारंभ करता है।
- जातीस्वरम : यह नृत्य का दूसरा चरण होता है। इसमें नर्तक द्वारा अपने कला ज्ञान, अर्थात् स्वर, ताल एवं अंग-प्रत्यंग तथा मुद्राओं का परिचय दिया जाता है।
- शब्दम : यह तीसरे क्रम का नृत्य अंश होता है। इसमें बहुविचित्र तथा लावण्यमय तरीके से नृत्य प्रस्तुत करके नाट्यभावों का वर्णन किया जाता है।
- वर्णम : नृत्य के इस अंश में नृत्य कला के अलग-अलग वर्णों को प्रस्तुत किया जाता है। इसमें भाव, ताल और राग, तीनों की प्रस्तुति की जाती है।
- पदम : इस अंश में सात पंक्तियुक्त वंदना क्रमशः तमिल, तेलुगू तथा संस्कृत भाषा में होती है और इसी अंश में नर्तक के अभिनय कौशल का पता चलता है।
- तिल्लाना : यह अंश नृत्य की समाप्ति को इंगित करता है और इसमें बहुविचित्र नृत्य भंगिमाओं के साथ-साथ नारी के सौंदर्य के लावण्य को दिखाया जाता है।
- श्लोकम् या मंगलम् : यह भरतनाट्यम नृत्य शैली का अंतिम क्रम होता है, जो अधिकतर श्लोक के रूप में होता है।
भरतनाट्यम नृत्य का इतिहास – History of Bharatnatyam in Hindi
भरतनाट्यम नृत्य एक प्राचीन लोकनृत्य है जो भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडू का लोकप्रिय नृत्य है प्राचीन भारत मे भरतनाट्यम नृत्य देवदासियों द्वारा किया जाता था इसलिए इसे ‘दासीअट्टम’ भी कहते है.
इस नृत्य को देवदासियों द्वारा किये जाने के कारण इसे समाज में सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता था। किंतु, 20वीं शताब्दी में रुक्मिणी देवी अरुंडेल तथा ई. कृष्ण अय्यर के प्रयासों ने इस नृत्य को सम्मान दिलाया। वर्तमान समय में तमिलनाडु में इस नृत्य की शिक्षा ग्रहण करना तथा नृत्याभ्यास व मंचन को प्रतिष्ठा के विषय के रूप में देखा जाने लगा है।
निष्कर्ष: आज हमने इस लेख मे भारत के प्रसिध्द लोकनृत्य भरतनाट्यम नृत्य (तमिलनाडु) | Bharatnatyam in Hindi को जाना, यह लेख आपके लिये कितना उपयुक्त रहा हमे, जरुर बताये, ऐसी ही जानकारी प्राप्त करने के लिये हमे फालो करेंं- WhatsApp Group