प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (Plate Tectonics Theory) भूगर्भ विज्ञान का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो प्लेटो की गतियो के आधार पर भूपृष्ठ पर होने वाले परिवर्तनों तथा भूकम्प व ज्वालामुखी जैसी परिघटनाओ की व्याख्या करता है साथ ही यह सिद्धांत हमें पृथ्वी की संरचना और पृथ्वी के साथ हो रहे प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है।
![प्लेट विवर्तनिकी सिध्दांत क्या है? | Plate Vivartaniki Siddhant 1 Plate Vivartaniki Siddhant image](https://safaltatak.com/wp-content/uploads/2024/02/plate-tectonic.webp)
प्लेट विवर्तनिकी सिध्दांत (Plate Vivartaniki Siddhant) को जानना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें पृथ्वी के भू-संरचना और इसके साथ होने वाली बदलाओ की समझ प्रदान करता है, जिससे हम कई प्राकृतिक घटनाओ को समझ पाते हैं।
प्लेट विवर्तनिकी सिध्दांत (Plate Vivartaniki Siddhant)
Plate Vivartaniki Siddhant: प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार, पृथ्वी की ऊपरी तंतुएँ (लिथॉस्फियर) चलती रहती हैं ये टुकड़े एक दूसरे से दूर जाते हैं, मिलते हैं और टकरा भी सकते हैं। इन तंतुओं को “प्लेटें” कहा जाता है। लेकिन यह इतनी मंद गति से होता है कि हम इसका आभाष भी नही कर सकते इसके परिणामस्वरूप ही महाद्वीपो का निर्माण, भूमध्य सागर में नए स्थानों का उत्पन्न होना, ज़लवायु परिवर्तन और भूकम्प जैसी दशाओ की उत्पत्ति होती है।
भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, टेक्टोनिक प्लेट, “ठोस चट्टान का एक विशाल, अनियमित आकार का स्लैब है”, जो लिथोस्फीयर या पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत से बना है। टेक्टोनिक प्लेट की हलचलें अक्सर भूकंप और ज्वालामुखी जैसी अन्य प्राकृतिक आपदापओ का कारण बनती हैं।
विवर्तनिकी प्लेट के प्रकार/वर्गीकरण (plate vivartaniki ke Prakar)
![प्लेट विवर्तनिकी सिध्दांत क्या है? | Plate Vivartaniki Siddhant 2 plate tectonic hindi](https://safaltatak.com/wp-content/uploads/2024/02/plate-tectonic-hindi.webp)
विवर्तनिकी प्लेटो को निम्नलिखित वर्गो मे विभाजित किया जाता है।
- क्षेत्रफल के आधार पर
- प्रधान या बड़ी प्लेटे – इनका क्षेत्रफल 20 मिलीयन वर्ग किलोमीटर से अधिक होता है
- छोटी या गौण प्लेटे – इनका क्षेत्रफल 1 मिलीयन वर्ग किलोमीटर से अधिक और 20 मिलीयन वर्ग किलोमीटर से कम होता है
- माइक्रो प्लेट – इनका क्षेत्रफल 1 मिलीयन वर्ग किलोमीटर से कम होता है
- प्लेटो के प्रकृति के आधार पर
- महासागरीय प्लेट – महासागर में स्थित होते है
- महाद्वीपीय प्लेट – महाद्वीपों पर स्थित होते है
- महासागरीय- महाद्वीपीय प्लेट – महासागर और महाद्वीपों दोनों पर स्थित होते है
इन्हें आप नीचे दिए गए सारणी से समझ सकते है.
क्षेत्रफल के आधार पर | [प्रधान या बड़ी प्लेटे] प्रशांत प्लेट अफ्रीका प्लेट यूरेशिया प्लेट अंटार्कटिक प्लेट उत्तरी अमेरिकी प्लेट दक्षिण अमेरिकी प्लेट भारत-ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड प्लेट [छोटी या गौण प्लेटे] कोकोज प्लेट अरब प्लेट फिलिपिन्स प्लेट नाजका प्लेट कैरेबियन प्लेट [माइक्रो प्लेटे] जुआन डी फूका मैलपेलो, आदि |
प्लेटो के प्रकृति के आधार पर | [महासागरीय प्लेटे] प्रसान्त महासागरीय प्लेट कोकोज प्लेट स्कोशिया प्लेट नज्का प्लेट फिलिपिन्स प्लेट कैरेबियन प्लेट [महाद्वीप प्लेटे] कोई नही! [महाद्वीपीय-महासागरीय प्लेटे] उत्तरी अमेरिकी प्लेट दक्षिण अमेरिकी प्लेट अफ्रीका प्लेट यूरेशिया प्लेट अंटार्कटिक प्लेट भारत-ऑस्ट्रेलिया प्लेट |
प्लेट टेक्टोनिक सिद्धांत का साक्ष्य
- चट्टानों का वितरणः खनिजों, जीवाश्म ईंधन और ऊर्जा संसाधनों सहित पृथ्वी की पपड़ी के भीतर चट्टानों का अधिकांश वितरण, प्लेट गति और टकराव के इतिहास एवं महाद्वीपों और महासागर बेसिनों के विन्यास में संबंधित परिवर्तनों का प्रत्यक्ष परिणाम है।
- जीवाश्म साक्ष्यः विभिन्न महाद्वीपों के जीवाश्म उन महाद्वीपों के जीवाश्मों के समान हैं, जो कभी जुड़े हुए थे। जब महाद्वीप विभाजित हुए तो विभिन्न जीवन रूपों का विकास हुआ।
- महाद्वीप पज्ज़लः महाद्वीप लगभग पज्ज़ल के टुकड़ों की तरह एक साथ फिट होकर पैंजिया (एक सुपर-महाद्वीप) बनाते हैं।
- समुद्र तल का प्रसारः समुद्र तल प्रसार सिद्धांत ने प्लेट टेक्टोनिक सिद्धांत को मान्य किया। सिद्धांत के अनुसार, समुद्र तल सदैव मध्य महासागरीय कटक से खाइयों की ओर बढ़ता रहता है।
- गर्म बेसाल्टिक मैग्मा ऊपर उठता है और पर्वतमाला पर फूटता है। इस मोड़ पर यह ठंडा होकर एक नया समुद्री तल बन जाता है ।
- समुद्र की परत पर नव निर्मित समुद्री तल धीरे-धीरे कटक से दूर चला जाता है और उसका स्थान एक नया समुद्री तल ले लेता है और चक्र दोहराता है।
- इस प्रक्रिया में पुरानी चट्टानें प्रसार क्षेत्र से दूर चली जाती हैं, जबकि नई चट्टानें प्रसार क्षेत्र के निकट पाई जाएंगी। पूरी प्रक्रिया एक कन्वेयर बेल्ट की तरह दिखती है।
Read Now>> सौर ज्वाला क्या है?
सात प्रमुख प्लेटें
- अंटार्कटिक प्लेट
- उत्तरी अमेरिकी प्लेट
- दक्षिण अमेरिकी प्लेट
- प्रशांत प्लेट
- भारत-ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड प्लेट
- पूर्वी अटलांटिक फ्लोर प्लेट के साथ अफ्रीका
- यूरेशिया और निकटवर्ती समुद्री प्लेट
कुछ महत्त्वपूर्ण छोटी प्लेटें
- कोकोस प्लेटः मध्य अमेरिका और प्रशांत प्लेट के बीच
- नाज्का प्लेटः दक्षिण अमेरिका और प्रशांत प्लेट के बीच
- अरेबियन प्लेटः अधिकतर सऊदी अरब का भूभाग
- फिलीपीन प्लेट: एशियाई और प्रशांत प्लेट के बीच
- कैरोलीन प्लेटः फिलीपीन और भारतीय प्लेट के बीच (न्यू गिनी के उत्तर में)
- फूजी प्लेट: ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्व में
- जुआन डी फूका प्लेट: उत्तरी अमेरिकी प्लेट के दक्षिण-पूर्व में
आज हमने इस लेख मे प्लेट विवर्तनिकी सिध्दांत | Plate Vivartaniki Siddhant के विषय मे जाना, यह सिध्दांत मानव जीवन के प्रमुख सिध्दांतो मे से एक है क्युकि इसी सिध्दांत के कारण ही वैज्ञानिक पृथ्वी पर होने वाले नानाप्रकार की घटनाये जैसे- भूकम्प, ज्वालामुखी, आदि का अनुमान लगाते है तथा इनकी सहायता से पृथ्वी की भू-संरचना को समझते है।
![प्लेट विवर्तनिकी सिध्दांत क्या है? | Plate Vivartaniki Siddhant 3 कंटेंट राइटर - तनुश्री](https://safaltatak.com/wp-content/uploads/2024/02/tanushree.webp)
मेरा नाम तनुश्री (Owner) है मै उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले की रहने वाली हू, मैंने शिक्षा मे Polytechnic किया है और वर्तमान मे B.Tech और आर्टिकल लिखने का कार्य कर रही हू मै यहाँ Technology & GK के साथ-साथ अन्य विषयों पर आर्टिकल लिखना पसंद करती हू।