ब्रह्मांड की उत्पत्ति का रहस्य जाने? | Origin of universe in Hindi

Origin of universe in Hindi: ब्रह्मांड के विषय मे जानने की इच्छा सभी की होती है लेकिन किन्ही कारणो से आज भी अधिकांश लोग ब्रह्मांड की उत्पत्ति का वैज्ञानिक कारण नही जान पाये है आज के इस लेख मे हम ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विकास कि प्रक्रिया को समझने का प्रयास करना चाहिए।

origin of universe Hindi
Origin of universe

ब्रह्मांड की उत्पत्ति (Origin of universe in Hindi)

Origin of universe Hindi: ब्रह्मांड की उत्पत्ति के विषय में चार सिद्धांत प्रमुख हैं जिसमें ‘बिग बैंग सिद्धांत (Big Bang Theory) सर्वाधिक प्रचलित एवं मान्य है। इसे ‘विस्तारित ब्रह्मांड परिकल्पना’ भी कहा जाता है। इस सिद्धांत का प्रतिपादन ‘जॉर्ज लेमैत्रे’ (Georges Lemaitre) ने 1920 के दशक के अंत में किया एवं बाद में रॉबर्ट वेगनर ने 1967 में इस सिद्धांत की व्याख्या प्रस्तुत की।

ब्रह्मांड की उत्पत्ति का सिद्धांत: इस सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्मांड लगभग 13.7 अरब वर्ष पूर्व भारी पदार्थों से निर्मित एक गोलाकार सूक्ष्म पिंड था, जिसका आयतन अत्यधिक सूक्ष्म और ताप व घनत्व अनंत था, बिग बैंग की प्रक्रिया में इसके अंदर महाविस्फोट हुआ और ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। विस्फोट के फलस्वरूप अनेक पिंड अंतरिक्ष में बिखर गए जो आज भी गतिशील अवस्था पाये जाते हैं।

ब्रह्मांड के विस्तार के कारण कुछ ऊर्जा पदार्थ में परिवर्तित हो गई। इसके साथ ही समय, स्थान एवं वस्तु की व्युत्पत्ति हुई। बिग बैंग घटना के पश्चात् आज से लगभग 4.5 अरब वर्ष पूर्व सौरमंडल का विकास हुआ, जिससे ग्रहों तथा उपग्रहों का निर्माण हुआ।

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तारों एवं आकाशगंगाओं का निर्माण

इस प्रक्रिया के कुछ अरब वर्ष के बाद हाइड्रोजन एवं हीलियम के बादल संकुचित होकर तारों एवं आकाशगंगाओं का निर्माण करने लगे।

‘होयल’ ने इस परिकल्पना के विपरीत ‘स्थिर अवस्था संकल्पना’ (Steady State Theory) के नाम से नवीन परिकल्पना प्रस्तुत की। इसके अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार लगातार हो रहा है लेकिन इसका स्वरूप किसी भी समय एक ही जैसा रहा है। यद्यपि ब्रह्मांड के विस्तार संबंधी अनेक प्रमाणों के मिलने पर भी वर्तमान में ‘बिग बैंग सिद्धांत’ को ही सर्वाधिक मान्यता प्राप्त है।

ब्रह्मांड के विस्तारण के साक्ष्य

ब्रह्मांड के निरंतर विस्तारण के साक्ष्य जुटाने में एडविन हब्बल का योगदान उल्लेखनीय है। ब्रह्मांड के निरंतर विस्तारण के साक्ष्य के रूप में अंतरिक्ष में सूक्ष्म तरंगों की उपस्थिति का पता चलना, अंतरिक्ष में रेडशिफ्ट परिघटना का अवलोकन तथा आधुनिक अध्ययनों में सुपरनोवाओं का अंतरिक्ष में विस्फोट होना भी ब्रह्मांड के विस्तार के साक्ष्य के रूप में माना जा रहा है।

अवधारणाएँ (Conceptions)

  • टॉलेमी की ‘जियोसेंट्रिक अवधारणा’ के अनुसार, “पृथ्वी ब्रह्मांड के केंद्र में है तथा सूर्य एवं अन्य ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं।”
  • ‘कॉपरनिकस’ ने टॉलेमी की अवधारणा का खंडन किया एवं ‘हेलियोसेंट्रिक अवधारणा’ का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार, “ब्रह्मांड के केंद्र में सूर्य है तथा पृथ्वी एवं अन्य ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं।” फलतः कॉपरनिकस को ‘आधुनिक खगोलशास्त्र का जनक’ कहा गया।
  • ब्रह्मांड स्थिर नहीं है, बल्कि यह फैल रहा है।
  • ब्रह्मांड का आकार कई ब्रह्मांडीय घटनाओं द्वारा निर्धारित किया गया है, जिसमें आकाशगंगाओं के बीच टकराव, तारो और आकाशगंगाओं का निर्माण, और पृथ्वी पर जीवन का उदय भी शामिल है।
  • 16वीं शताब्दी के आस-पास कैपलर ने ग्रहीय गतियों के नियमों की खोज की तथा इसने सूर्य को ग्रहीय कक्षा का केंद्र माना।
  • ‘हर्शेल’ ने 1805 में बताया कि पृथ्वी, सूर्य एवं अन्य ग्रह आकाशगंगा का एक अंश मात्र है।
  • 1920 में एडविन हब्बल ने प्रमाण दिया कि ब्रह्मांड का विस्तार अभी भी जारी है, जिसको उन्होंने आकाशगंगाओं के बीच बढ़ रही दूरी के आधार पर सिद्ध किया।

FAQ

Q. ब्रह्मांड की आयु क्या है?

Ans. ब्रह्मांड लगभग 13.8 अरब वर्ष पुराना है।

Q. ब्रह्मांड का व्यास  कितना है?

Ans. लगभग 93 बिलियन प्रकाश वर्ष

Q. ब्रह्मांड की उत्पत्ति का मान्य सिद्धांत क्या है?

Ans. बिग बैंग सिद्धांत

Q. ब्रह्मांड में कितनी आकाशगंगाएँ हैं?

Ans. अनुमानित 100 बिलियन

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