इस लेख में आप स्वर संधि के भेद गुण संधि का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। यह लेख कठिनाई स्तर को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसका अध्ययन आप विद्यालय, विश्वविद्यालय तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कर सकते हैं।
व्याकरण की दृष्टि से दो अक्षर मात्रा या शब्द के जुड़ने को संधि कहा जाता है। संधि मुख्य रूप से तीन प्रकार की मानी गई है। स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि। आइये इन्हे विस्तार से जाने।
सर्वप्रथम आपको यह जानना होगा की संधि के तीन प्रकार होते है। 1. स्वर संधि 2. व्यजन संधि 3. विसर्ग संधि, इनमे स्वर संधि के 5 भेद होते है। जो निम्नलिखित है। 1. दीर्घ संधि 2. गुण सन्धि 3.वृद्धि सन्धि 4. यण संधि 5. अयादि संधि, आज हम इस लेख मे केवल गुण संधि के बारे मे जानेंगे।
गुण संधि किसे कहते हैं।
गुण सन्धि उदाहरण परिभाषा– अ/आ के बाद इ/ ई आती है तो “ए” हों जाता है और उ/ऊ आता है तो “ओ” बनता है। तथा ऋ आता है तो “अर” हो जाता है। आईए उदाहरण समझते है।
- अ/आ+इ = ए
- अ/आ+ई=ए
- अ + उ/ऊं = ओ
- अ + ऊ = ओ
- आ + ऊ = ओ
- अ / आ + ऋ = अर
गुण संधि के उदाहरण
अ/आ + इ = ए
- भारत + इंदु भरतेंदु
- गज + इंद्र गजेंद्र
- नर + इंद्र नरेंद्र
- स्व + इच्छा स्वेच्छा
- कमल + इंदु कमलेन्दु
- शुभ + इच्छु शुभेक्षु
- शुभ + इंदु शुभेंदु
अ/आ + ई = ए
- कमल + ईश कमलेश
- राम + ईश्वर रामेश्वर
- लोक + ईश लोकेश
- दिन + ईश दिनेश
- गण + ईश गणेश
- परम + ईश्वर परमेश्वर
- नर + ईश नरेश
इन उदाहरण की मदद से यह आसानी से समझा जा सकता है कि आ और इ के मिलन से ए बनता हैं, इससे बनने वाले कुछ शब्द उपर दिए गये हैं। इस तरह के समस्त उदाहरणों को पढ़कर समझे।
अ + उ/ऊं = ओ
- अतिशय + उक्ति = अतिश्योक्ति
- अन्य + उक्ति = अन्योक्ति
- आनन्द + उत्सव = आन्दोत्सव
- उत्तर + उत्तर = उत्तरोतर
- ग्राम + उत्थान = ग्रामोत्थान
- अत्य + उदय = अत्योदय
- अन्य + उदर = अन्योदर
अ + ऊ = ओ
- उच्च + उधर्व = उच्चोधर्व
- जल + ऊर्जा = जलोर्जा
- नव + ऊढ़ = नवोढ़ा
- जल + उर्मि = जलोर्मि
- जल + ऊष्मा = जलोष्मा
- समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोमि
ये उदाहरण ठीक वैसे ही हैं जैसे पूर्व में दिए गये आ + ऊ की संधि से ओ का आगम होता हैं. यहाँ अ और ऊ इन दोनों स्वरों के मिलने से ओ के रूप में परिवर्तन आता हैं तथा गुण संधि बनती हैं. इस तरह के अन्य समस्त उदाहरण भी गुण संधि के रूप होंगे.
आ + ऊ = ओ
- गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि
- महा + ऊर्जा = महोर्जा।
अ / आ + ऋ = अर
अधम + ऋण = अधमर्ण
कण्व + ऋषि = कण्वर्षीं
उत्तम + ऋण = उतमर्ण
देव + ऋषि = देवर्षि
महा + ऋषि = महर्षि
महा + ऋण =।
गुण संधि के कुछ अन्य उदाहरण
जीर्ण + उद्धार : जीर्णोद्वार (अ + उ = ओ)
महा + उत्सव : महोत्सव (आ + उ = ओ)
आत्मा + उत्सर्ग : आत्मोत्सर्ग (आ + उ = ओ)
धन + उपार्जन : धनोपार्जन (अ + उ = ओ)
सुर + इंद्र : सुरेन्द्र (अ + इ = ए)
महा + ऋषि : महर्षि (आ + ऋ = अर)
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