व्याकरण किसे कहते हैं? (परिभाषा) | vyakaran kise kahate hain

व्याकरण वह ज्ञान है। जिसके द्वारा हम भाषा को शुद्ध रूप से पढ़ते हैं। व्याकरण के विना भाषा को शुद्ध लिखा पढ़ा और बोला नहीं जा सकता। इसलिए कहा गया है।कि व्याकरण वह शास्त्र है जिसके द्वारा भाषा को शुद्ध बोलना और शुद्ध लिखना आता है।

संसार के सभी भाषाओं का अपना व्याकरण होता है। व्याकरण का ठीक ठीक ज्ञान होने पर ही भाषा का उचित ढंग से प्रयोग कर सकते हैं। व्याकरण हमें भाषा को शुद्ध बोलना व लिखना सिखाता है।

vyakaran kise kahate hain
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व्याकरण की परिभाषा (vyakaran ki paribhasha)

व्याकरण की परिभाषा: किसी भी भाषा को शुद्ध रूप से बोलने, लिखने और समझने के लिए कुछ नियम होते है। उन्हीं नियमों को हम व्याकरण कहते हैं. व्याकरण एक ऐसा ज्ञान है जिसमें उस भाषा को लिखने, बोलने और समझने के नियम संग्रहित होते है।

अगर आपको किसी भाषा को शुद्ध रूप से बोलना, लिखना, पढना सीखना है तो सबसे पहले आपको उस भाषा के व्याकरण को सीखना होगा। बिना व्याकरण सीखें हम उस भाषा को पूरी सत्यता या आदर्श के साथ प्रयोग नही कर सकते।

व्याकरण एक शास्त्रीय अध्ययन है जो भाषा के नियमों, संरचना, और व्याकरणिक तत्वों का अध्ययन करता है। इसका मुख्य उद्देश्य भाषा के सामान्य सिद्धांतों, वाक्यों, और ध्वनियों की विश्लेषण करके उसकी संरचना को समझना और व्याख्या करना है। व्याकरण भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन है जो हमें भाषा का संगठन समझने और सुधार करने में मदद करता है।

व्याकरण के नियम और सिद्धांत भाषा के संरचनात्मक पहलुओं को शामिल करते हैं, जिनमें शब्दों, वाक्यों, और भाषा के अन्य तत्वों के आपसी संबंध, समारोह, और अर्थ के नियम शामिल होते हैं। व्याकरण की मदद से हम वाक्यों को व्याख्या कर सकते हैं, उनके संरचनात्मक घटकों को समझ सकते हैं, और वाक्यों के वास्तविक अर्थ को निर्धारित कर सकते हैं।

व्याकरण के विभिन्न पहलुओं में शब्द रचना, वाक्य संरचना, वचन, पुरुष, कारक, संज्ञा, क्रिया, विशेषण, क्रिया विशेषण, वचन, अव्यय, अलंकार, आदि

व्याकरण के भेद या प्रकार (vyakaran ke bhed)

भाषा को शुद्ध रूप में लिखने पढ़ने बोलने और समझने की शिक्षा देने वाली विद्या का नाम व्याकरण है । जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भाषा में व्याकरण अलग-अलग रूप से होता है और उनमें कुछ हद तक थोड़ा अंतर होता हैं। यदि हम व्याकरण के भेद के बारे में बात करें तो व्याकरण के तीन भेद हैं जिसे हम व्याकरण के अंग भी कहते हैं.

व्याकरण के भेद
Vyakaran ke bhed

व्याकरण के तीन भेद होते है। vyakaran ke kitne bhed hote hain

  1. वर्ण बिचार
  2. शब्द विचार
  3. वाक्य विचार

वर्ण विचार

वर्ण विचार – वर्ण भाषा का सबसे छोटी इकाई या भाग होता है जिसे हम आगे विभाजित नहीं कर सकते. जैसे अ ई क, ख, द ग,… ज्ञ. आदि। अगर आपको किसी भाषा को सीखना है तो सबसे पहले आपको उस भाषा के वर्णों के बारे में जानना होगा तभी आप उस भाषा को सही रूप से सीख व समझ पाएंगे।

अगर आपको किसी भाषा को लिखना है तो आपको उस भाषा में उपयोग किए जाने वाले वर्णों को लिखना होगा, आपको उस भाषा की वर्णमाला सीखनी होगी।

नोट – वर्ण के दो भेद होते हैं। स्वर और व्यंजन आगे के आर्टिकल में आप इसके भेद उदाहरण पढ़ सकते हैं।

शब्द विचार

शब्द विचार, इसमें शब्दों की रचना उसके लिंग , वचन और कारक आदि विषयों पर विचार किया जाता है।

शब्द विचार यह हिंदी व्याकरण का दूसरा खंड है, जब एक से अधिक वर्ण या अक्षर मिलते है तब उसे शब्द कहा जाता है जैसे की राम, कमल, भरत इत्यादी। राम शब्द में र और म यह दो अक्षर मिलकर राम शब्द का निर्माण हुआ है और कमल इस शब्द में क-म-ल यह तीन वर्ण या अक्षर मिलकर कमल यह शब्द बना।

Note – शब्द विचार के भी मुख्य दो प्रकार होते है। विकारी शब्द और अविकारी शब्द।

वाक्य विचार

वाक्य विचार– जैसा कि सभी जानते हैं वर्णों को मिलाकर शब्द बनता है। जैसे- छत पर मत चढ़। यहां देखें आठ वर्ण मिलाकर चार शब्द बना है। और चार शब्द मिलाकर एक वाक्य बना है।

जब बहुत सारे शब्दों का आपस में मिलन होता है और उस शब्दों के समूह से कुछ अर्थ उत्पन्न होता है तो उसे हम वाक्य कहते हैं शब्दों के समूह को ही हम वाक्य कहते हैं। एक वाक्य में बहुत सारे शब्द आपस में जुड़े हुए होते हैं जिन्हें बोलने से कुछ भाव प्रकट होता है और उस वाक्य का कुछ अर्थ निकलता है| Read –

वाक्यांश किसे कहते है?

जैसे कि- “मनोज को खेलना पसंद है” तो इस वाक्य में मनोज, को, खेलना, पसंद, हैं, इतने शब्द है और यह सारे शब्द मिलकर एक वाक्य की रचना करते हैं. इसी तरह हर एक भाषा में कुछ शब्द होते हैं जिसे आपस में जोड़कर आप एक वाक्य बना सकते हैं जिसका की कोई अर्थ निकलता हो.

व्याकरण सीखने से क्या होता

हमे अपने भाषा का ज्ञान होता है। जिससे हम बोलकर, लिखकर, अपनी अभिव्यक्ति प्रकट करते है।

व्याकरण भाषा के शब्दों और वाक्यों को शुद्ध और अशुद्ध होने की परख कराता है।

भाषा के प्रयोग के नियम को निर्धारित करता है।

शब्दों के नये रूपों के निर्माण की विधि बताता है।

भाषा की एकरूपता को बनाए रखता है।

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