सौर ज्वाला क्या है? इसके परिणाम व प्रभाव जाने | solar flares in Hindi

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solar flares in Hindi: सूर्य, हमारे सौरमंडल (Solar System) का एक तारा है तथा हमारे ब्रह्माण्ड (Universe) के सबसे प्रमुख तारों में से एक है। सूर्य का मुख्य अवयव हाइड्रोजन और हेलियम हैं, और यह आपसी संघटन और उच्च तापमान के कारण नाभिक में न्यूक्लियर फ्यूजन द्वारा ऊष्मा उत्पन्न करता है।

इस ऊष्मा की उत्पत्ति के कारण ही सूर्यमंडल में प्रकाश उत्पन्न होता है, आज हम इस लेख मे सौर ज्वाला क्या है? solar flares in Hindi तथा इसके वर्गीकरण के बारे मे जानेंगे।

सौर ज्वाला (Solar flares in Hindi)

solar flares Hindi: सौर ज्वाला सूर्य पर एक जबरदस्त विस्फोट है जो तब होता है जब मुड़े (Twisted) चुंबकीय क्षेत्र (आमतौर पर सनस्पॉट के ऊपर) में संग्रहीत ऊर्जा अचानक निकल जाती है। कुछ ही मिनटों में वे कई लाखों डिग्री तक सामग्री को गर्म करते हैं और रेडियो तरंगों से एक्स-रे और गामा किरणों सहित विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम में विकिरण का विस्फोट उत्पन्न करते हैं।

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सौर ज्वालाओं (solar flares) का वर्गीकरण: वैज्ञानिक एक्स-रे तरंग दैर्ध्य में उनकी चमक के अनुसार सौर ज्वालाओं का वर्गीकरण करते हैं। सौर ज्वालाओं की तीन श्रेणियां हैं

  1. एक्स-क्लास फ्लेयर्स: ये ज्वलाये बड़े होते हैं तथा ये पूरी दुनिया में रेडियो ब्लैकआउट और ऊपरी वायुमंडल में लंबे समय तक चलने वाले विकिरण तूफान को ट्रिगर कर सकती हैं।
  2. एम-क्लास फ्लेयर्स: ये ज्वालाये मध्यम आकार के होते हैं। ये आम तौर पर संक्षिप्त रेडियो ब्लैकआउट का कारण बनते हैं जो पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। मामूली विकिरण तूफान कभी-कभी एम-क्लास फ्लेयर का अनुसरण करते हैं।
  3. सी-क्लास फ्लेयर्स: एक्स और एम श्रेणी की घटनाओं की तुलना में, सी-क्लास फ्लेयर्स छोटे होते हैं।

सोलर फ्लेयर्स (solar flares) के परिणाम व प्रभाव

Solar flares
RepelSpaceThreats, CC BY-SA 4.0 https://creativecommons.org/licenses/by-sa/4.0, via Wikimedia Commons

सौर ज्वाला के दौरान सूर्य से भारी मात्रा में गैस और प्लाज़्मा बाहर निकालते है। ऐसे ही विस्फोटों के एक प्रकार को ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (CMEs) कहा जाता है। सोलर फ्लेयर्स (कोरोनल मास इजेक्शन) से भिन्न होते हैं। सीएमई चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं से पिरोए गए गैस के विशाल बुलबुले हैं जो कई घंटों के दौरान सूर्य से निकलते हैं। इन्हे पृथ्वी और अंतरिक्ष में सौर गतिविधि के प्रभावों को समझने और भविष्यवाणी करने के लिए यह महत्वपूर्ण माना जाता हैं।

यदि कोई ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (CMEs) पृथ्वी से टकराता है तो निम्नलिखित प्रभाव हो सकते है।

  • यह एक भू-चुंबकीय तूफान को उत्तेजित कर सकता है। इससे पृथ्वी के अधिकांश हिस्सों पर तीव्र ध्रुवीय ज्योतियाँ घटित हो सकती हैं।
  • बड़े भू-चुंबकीय तूफान अन्य बातों के अलावा, बिजली की आपूर्ति बंद कर सकते हैं
  • संचार उपग्रहों को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं।
  • सीएमई द्वारा संचालित ऊर्जावान कण इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और अंतरिक्ष यात्रियों या उच्च उड़ान वाले विमानों में यात्रियों, दोनों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
  • सोलर फ्लेयर्स पृथ्वी पर रेडियो ब्लैकआउट का कारण बन सकते हैं

दूसरी ओर, सौर ज्वालाएँ, पृथ्वी पर आयनमंडल और रेडियो संचार को सीधे प्रभावित करती हैं और अंतरिक्ष ऊर्जावान कणों को भी छोड़ती हैं। इसलिए ‘अंतरिक्ष मौसम’ और पृथ्वी पर सौर गतिविधि के प्रभाव को समझने और भविष्यवाणी करने के लिए सीएमई और फ्लेयर्स दोनों की समझ आवश्यक है।

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solar flares: सोलर फ्लेयर्स का अवलोकन

सोलर फ्लेयर्स सफेद रोशनी में भी दिखाई दे सकती हैं, वे अक्सर अपने उज्ज्वल एक्स-रे और पराबैंगनी उत्सर्जन के माध्यम से अधिक आसानी से देखी जाती हैं। नासा ने छह अलग-अलग तरंगदैर्ध्य पर सूर्य के बाईं ओर उज्ज्वल स्थान के रूप में देखे जाने वाले सौर चमक के पहले क्षणों को कैप्चर किया। सूर्य के कोरोना में सक्रिय सौर ज्वाला क्षेत्र के ऊपर गर्म सौर सामग्री देखी जा सकती है।

सूर्य पर सक्रिय क्षेत्रों के आसपास के क्षेत्र में तीव्र चुंबकीय क्षेत्र से सौर ज्वालाएं फूटती हैं जो चरम सौर गतिविधि के समय सबसे आम हैं। कोरोनल मास इजेक्शन अक्सर सौर फ्लेयर्स के साथ होते हैं, हालांकि वैज्ञानिक अभी भी यह निर्धारित करने की कोशिश कर रहे हैं कि दोनों घटनाएं कैसे संबंधित हैं।

सूर्य से सम्बंधित विशेष बाते

  • सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित है। यह अत्यधिक गर्म गैसों से बना हुआ है।
  • इसका खिंचाव बल इससे सौरमंडल को बांधे रखता है।
  • सूर्य एक मध्यम आयु का मध्यम तारा है। इसका व्यास लगभग 13.9 लाख किमी. है। सूर्य की वर्तमान आयु लगभग 4.7 अरब वर्ष है।
  • सूर्य के द्रव्यमान का 70.6 प्रतिशत भाग हाइड्रोजन और 27.4 प्रतिशत भाग हीलियम से बना है।
  • सूर्य, सौरमंडल के लिये प्रकाश तथा ऊष्मा का एकमात्र स्रोत है।
  • सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर लगभग 8 मिनट में पहुँचता है।
  • सूर्य अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमता है। इसकी घूर्णन e अवधि भूमध्य रेखा पर 25 पृथ्वी दिवस है।
  • सूर्य का अपना कोई चंद्रमा नहीं है। साथ ही, सूर्य पर किसी छल्ले की भी विद्यमानता नहीं है।
  • सूर्य की संरचना को छ: क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जा सकता है- केंद्र, विकिरण क्षेत्र, संवहनी क्षेत्र, प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर एवं कोरोना।

Image Credit: https://commons.wikimedia.org/

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