सूनामी (Tsunami) क्या है? कारण व विशेषता | sunami kya hai

सूनामी एक प्राकृतिक घटना है यह एक प्रकार की बड़ी समुद्री लहर होती है इस लहर मे समुद्र का पानी बड़ी मात्रा में ऊपर उठता है। इसका मुख्य कारण ज़मीन के नीचे होने वाले किसी बड़े भू घटना, जैसे कि भूकंप, ज्वार भाटा, या समुद्री भूकंप हो सकता है। जब यह लहरे विनाशात्मक रुप ले लेती है तो इसे हम सूनामी कहते हैं। आइये इस लेख मे हम सूनामी क्या है? (sunami kya hai), इसका कारण व विशेषता जानते है।

Sunami Kya hai hindi mei
what is Tsunami in HIndi

सूनामी क्या है? (sunami kya hai)

sunami kya hai: सुनामी का तात्पर्य एक वृहत् समुद्री तरंग से है, जिसकी उत्पत्ति का मूल कारण सतह, तली या समुद्री सतह का अचानक चलायमान हो जाना है। समुद्री जल में अचानक संचलन का कारण भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्री जल के अंदर भू-स्खलन या बड़े उल्का पिंड का टकराना हो सकता है। अतः संक्षेप में हम इसे इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं- सुनामी, वे विशाल तरंगें हैं, जिनकी उत्पत्ति समुद्र के नीचे भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण होती हैं।

सुनामी के कारण – Sunami ke Karan

सुनामी में जिन बड़ी-बड़ी जल तरंगों की उत्पत्ति होती है, वे तरंगें इतनी बड़ी होती है कि समुद्री जल की सतह पर अत्यधिक वेग से प्रवाहित होते हुए अपार जान-माल को हानि पहुँचाते हैं।

यद्यपि अभी तक यह निश्चित नहीं हो पाया है कि सुनामी की उत्पत्ति के लिये जल की मात्रा कितनी होनी चाहिये, लेकिन इतना अवश्य है कि जल की इतनी मात्रा होनी चाहिये, जिससे कि विशाल समुद्र में तरंग उत्पन्न हो सके। तालाब में जिस प्रकार छोटी-छोटी जल तरॉगकाएँ उत्पन्न होती हैं, उसी प्रकार से समुद्र में बृहद् जल राशि के अधिक वेग से ऊँची-ऊँची जल तरंगें सुनामी के रूप में उत्पन्न होती हैं।सूनामी आने मुख्य कारण समुद्र के तल मे अचानक बदलाव जैसे- भूकम्प, ज्वालामुखी, भाटा आदि को माना जाता है।

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Tyke, CC BY-SA 4.0 https://creativecommons.org/licenses/by-sa/4.0, via Wikimedia Commons

भूकंप के कारण सूनामी

यह सुनामी (Sunami) आने का सबसे सामान्य कारण है। पृथ्वी की संरचना प्लेटों से हुई है। जब ये विवर्तनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं एवं इनके किनारे एक-दूसरे से रगड़ खाते हुए आगे बढ़ते हैं तो भूकंप की उत्पत्ति होती है। समुद्री भूकंप के कारण जल की बहुत बड़ी राशि का संचलन एक तरफ से दूसरी तरफ होता है। इस भूकंप से मध्य समुद्री जल की ऊँचाई में अल्पकालिक अंतर किसी विशेष क्षेत्र में उत्पन्न हो जाता है। जल को इस ऊँचाई के अंतर को दूर करने के लिये विस्थापित जल अपनी साम्यावस्था को प्राप्त करना चाहता है। इससे बड़ी जलराशि में विशाल तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो कि सुनामी कहलाती है।

महासागर में उत्पन्न सभी भूकंपों के द्वारा सुनामी की उत्पत्ति नहीं होती है बल्कि एक विनाशकारी सुनामी की उत्पत्ति हेतु भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.5 से अधिक एवं उद्गम केंद्र छिछला अर्थात् सतह के समीप होना चाहिये। इसी प्रकार की सुनामी तरंग की उत्पत्ति दिसंबर 2004 में हिंद महासागर में इंडोनेशिया में 9.15 की तीव्रता के भूकंप के कारण हुई थी।

भू-स्खलन के कारण सूनामी

चट्टानी स्खलन, हिमशिला खंडों के गिरने, समुद्री जल में भू-स्खलन या मलबा प्रवाह के कारण बहुत बड़ी जलराशि का विस्थापन होता है जो कि सुनामी को उत्पन्न करते हैं। समुद्री जल के नीचे के भू-स्खलन सामान्य रूप से भूकंप के कारण उत्पन्न होते हैं। दक्षिणी फ्राँस में 1980 में आया सुनामी भूस्खलन के कारण ही उत्पन्न हुआ था। यह भूस्खलन हवाई अड्डे के निर्माण के दौरान उत्पन्न हुई थी। 9 जुलाई, 1958 को अलास्का के लितुआबे में आई सुनामी भूस्खलन का ही परिणाम थी।

ज्वालामुखी उद्‌गार के कारण सूनामी

यद्यपि ज्वालामुखी उद्‌गार कभी-कभी होते हैं, लेकिन इनके द्वारा भी सुनामी की उत्पत्ति होती है। जब ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं तो मैग्मा का प्रवाह, नवीन ढाल का निर्माण या मैग्मा के नवीन चैंबर बनते हैं या पुराने बने चैंबर का पुनर्निर्माण होता है।

कभी-कभी मैग्मा अत्यंत तीव्र वेग से निकलता है तथा आस-पास के इलाके को शीघ्रता से आच्छादित करने लगता है। इससे समुद्री जल का अचानक विस्थापन एक स्थान से दूसरे स्थान पर होने लगता है। उससे बड़ी-बड़ी जल तरंगें उत्पन्न होती हैं जो सुनामी का कारण बनती हैं। प्रशांत महासागर में उत्पन्न होने वाली सुनामी सामान्यतः इसी प्रकार की होती है। ऐसा इसलिये होता है, क्योंकि यहाँ के ‘रिंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में ही ज्वालामुखीय एवं भूकंपीय क्रिया की बारंवारता देखी जाती है।

सुनामी की विशेषताएँ

विश्व के लगभग सभी समुद्री क्षेत्र सुनामी से प्रभावित है, लेकिन नब्बे प्रतिशत से अधिक सुनामी की उत्पत्ति प्रशांत महासागर में होती हैं। इसका कारण यह है कि अधिकांश शक्तिशाली भूकंप एवं अधिक संख्या में आने वाले भूकंप प्रशांत महासागरीय मेखला अर्थात् रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में ही आते हैं। इसीलिये प्रत्येक शताब्दी में लगभग चार सौ सुनामी की उत्पत्ति प्रशांत महासागर के क्षेत्र में देखी गई है एवं उनमें से लगभग एक-चौथाई का संबंध मुख्यतः जापान तथा ताईवान से है।

सुनामी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है-

  • सुनामी लहरें अधिकांशतः गहरे समुद्र में उत्पन्न होती हैं।
  • गहरे समुद्र में ये लहरें केवल एक फूट या उससे ऊँची हो सकती हैं लेकिन जैसे-जैसे ये तटरेखा के पास पहुँचते हैं और उथले पानी में प्रवेश करते हैं, वे धीमे हो जाते हैं, किंतु उनकी ऊर्जा और ऊँचाई तीव्रता से बढ़ने लगती है।
  • सुनामी लहरों की गति लहरों के स्रोत से दूरी के बजाय समुद्र की गहराई पर निर्भर करती है। गहराई जितनी अधिक होगी, लहरों की गति भी उतनी अधिक होगी।
  • सुनामी तरंगों (Tsunami Waves) के तरंग दैर्ध्य बहुत अधिक लंबे (लगभग 500 किमी.) होते हैं।
  • सुनामी लहरों की सर्वाधिक आवृत्ति प्रशांत महासागर में देखी जा सकती है।

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